बिना आवाज़ की लाठी मारी किया था भ्रष्टाचार
March 28, 2023 ・0 comments ・Topic: kishan bhavnani poem
भावनानी के भाव
बिना आवाज़ की लाठी मारी किया था भ्रष्टाचार
धन रहेगा नहीं दुखी करके निकलेगा यह भ्रष्टाचार
बच्चे को एक्सीडेंट में खोए कारण था भ्रष्टाचार
ऊपरवाला देख रहा है नहीं है वह लाचार
बिना आवाज़ की लाठी मारी किया था भ्रष्टाचार
चकरे खिलाकर बदुआएं समेटी करके भ्रष्टाचार
परिवार सहित सुखी रहोगे जब छोड़ोगे भ्रष्टाचार
अब भी सुधर जाओ मत करो इनकार
ईमानदारी से छोड़ दो भ्रष्टाचार
जीवन में दुखों का कारण का भ्रष्टाचार
लाखों करोड़ों खर्च किए नहीं हुआ उपचार
परिवार बिखर गया बस कारण है भ्रष्टाचार
जैसी करनी वैसी भरनी आदिकाल से सत्य विचार
भारत में अब आ गई है नवाचारों की बौछार
डिजिटल पारदर्शी नीतियों से हो गए हो लाचार
चकरे खिलाने का काम अब छोड़ दो ये औजार
ईमानदारी से छोड़ दो भ्रष्टाचार
About author
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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