कविता: शब्द | kavita: shabd
कविता: शब्द
मन के अनगिनत विचारों को,सबके सन्मुख दे खोल।
कहलाते है शब्द वही,
या कहते इन्हें हम बोल।
शब्द होते दर्पण व्यक्तित्व के,
शब्द से होती मानव की पहचान।
शब्द जोड़ते अनेकों नाते आपस के,
शब्दों से ही तो पाते हम मान-अपमान।
तभी तो कहते सभी यही कि,
शब्दों में रखो सदा मिठास।
कटु शब्द लगते तीर से,
लाते रिश्तों में खटास।
अब यह हम पर करता है निर्भर ,
कैसे शब्दों का चुनाव करें।
सुनकर ना ह्रदय दुखे किसी का,
पर अपनत्व का भाव प्रवाहित करे।
About author
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
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