धार्मिक जुलूसों में दंगाई - सिस्टम व्यवस्था चरमराई - जनता जनार्दन की शामत आई

दंगाई बनाम सिस्टम, पीड़ित जनता जनार्दन!

धार्मिक जुलूसों में दंगाई - सिस्टम व्यवस्था चरमराई - जनता जनार्दन की शामत आई

धार्मिक जुलूसों में दंगाई - सिस्टम व्यवस्था चरमराई - जनता जनार्दन की शामत आई
हर बार धार्मिक जुलूसों और आयोजनों में अव्यवस्था, दंगाईयों का प्रयोजन - स्थाई समाधान खोजने की रणनीति बनाना समय की मांग - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत धर्मनिरपेक्षता का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। अनेकों मजहबों, जातियों, धर्मों के मानवीय जीव एक छत भारत के नीचे रह रहे हैं, जो अपने आप में एक अनोखी सुखद अनमोल स्थिति है, जिसकी तारीफ़ पूरी दुनिया में होती है, क्योंकि भारत की यही संस्कृति है कि एक भारत नेक भारत, यह हम भारतीयों की रग-रग में बसा है और यहां की मिट्टी में ही ऐसी खुशबू है। परंतु पिछले कुछ समय से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया खासकर टीवी चैनल में हम देख रहे हैं कि यहां हमारी पुरानी संस्कृति को भुलाकर मज़हब जाति धर्म की खाइयां गहरी होती जा रही है। इसका विष बहुत तेजी से फैल रहा है। हाल के कुछ वर्षों में हम देख रहे हैं कि हनुमान जयंती, रामनवमी, नवरात्रा इत्यादि धार्मिक आयोजनों की शोभा यात्राओं पर तनातनी बाचाबाची से बात शुरू होकर पथराव तक से लेकर आगजनी और फिर दंगों हत्याओं तक का मामला उठ जाता है जिसकी लौ भारत के अन्य हिस्सों में भी उठने जलने लगती है और देखते ही देखते कुछ राज्यों से अन्य राज्यों में भी यह क्रम विस्तारित हो जाता है जिसे रोकना अत्यंत तात्कालिक ज़रूरी है। चूंकि अभी 30 मार्च 2023 को रामनवमी शोभायात्रा में पश्चिम बंगाल बिहार कर्नाटक महाराष्ट्र गुजरात सहित कुछ राज्यों में पथराव से लेकर दंगाइयों तक की धमाचौकड़ी का मामला हम टीवी चैनलों के माध्यम से देख रहे हैं। उन राज्यों के उन क्षेत्रों में धारा 144 लगी है। हर बार की तरह इस बार भी बयान आ रहे हैं कि प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, दंगाइयों को चिन्हित कर उन पर कार्यवाही करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं, स्थिति कंट्रोल में है, अधिकारी लगे हुए हैंइत्यादि बयान दिए जाते हैं। परंतु आज 1 अप्रैल की देर रात्रि तक एक राज्य में दंगाइयों का क्रम शुरू था इसलिए आज हम टीवी चैनलों में प्रसारित ग्राउंड रिपोर्टिंग और मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, हर बार धार्मिक जुलूसों आयोजनों में अव्यवस्था, दंगाईयों का प्रयोजन का स्थाई समाधान खोजने की रणनीति बनाना समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम धार्मिक जुलूसों आयोजनों पर दंगों और हिंसा की करें तो, उत्‍तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र.....!जी नहीं, ये उन राज्यों की लिस्ट नहीं जहां कोरोना फैल रहा है। ये वे राज्य हैं जहां रामनवमी के मौके पर नफ़रत का वायरस फैला। और भी इलाके होंगे जहां की बात मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाई। इस कदर नफरत भर चुकी है कि नागरिकों को मूलभूत स्वतंत्रता भी हासिल नहीं। रामनवमी के दिन बंगाल का हावड़ा हो या बिहार का नालंदा, महाराष्‍ट्र का संभाजीनगर हो या गुजरात का वडोदरा, जुलूस निशाना बना। पत्थरबाजी, आगजनी की गई। एक साजिश के तहत हिंसा को हवा भी मिली। अगर हम देश को इस आधार पर बांटेंगे कि फलां इस धर्म का इलाका है और फलां दूसरे धर्म का तो यही होगा। अपने इलाके में दूसरे को आने से रोकना है', इस मानसिकता के लोग ही ऐसी हरकतें करते हैं। इस बार तो सबके चेहरे भी दिख रहे हैं। पहचाना जा सकता है कि ये दंगाई कौन हैं।लगातार दूसरे साल हिंसा, संकेत साफ है, रामनवमी पर पहली बार हिंसा नहीं हुई। पिछले साल भी रामनवमी पर निकले जुलूस निशाना बने थे। बात सिर्फ रामनवमी भर की नहीं है, दंगाइयों की नजरें लगभग हर सामूहिक त्‍योहार पर है। पिछले साल हनुमान जयंती याद कीजिए। ज्‍यादातर राज्‍य यही थे जहां पर हिंसा हुई। एमपी, झारखंड, आंध्र प्रदेश समेत कम से कम 10 राज्‍यों में कई दिन तक छिटपुट हिंसा का दौर चला था। अभी होली के दौरान भी कुछ हिस्‍सों में झड़पें हुईं थीं।
साथियों बात अगर हम बिहार की करें तो, बिहार के सीएम ने शनिवार को कहा कि सासाराम और बिहारशरीफ शहरों में रामनवमी उत्सव के दौरान सांप्रदायिक तनाव कुछ लोगों द्वारा शरारत में शामिल होने के कारण हुआ। उन्होंने एक पार्टी के इस आरोप को खारिज कर दिया कि यह राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के खराब होने का संकेत देता है। मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा दंगों के मद्देनजर सासाराम के अपने दौरे को रद्द करने पर कहा, मुझे नहीं पता कि वह क्यों आ रहे थे और मुझे समझ में नहीं आया कि उन्होंने क्यों नहीं आने का फैसला किया। सासाराम में उपद्रव जो पहली बार पिछले शाम को भड़का था, शुक्रवार दोपहर फिर से शुरू होने के बाद जिला प्रशासन ने धारा 144 लगाने का आदेश दिया। केंद्रीय गृह मंत्री ने रविवार को सासाराम का अपना दौरा रद्द कर दिया है जहां पहले से ही निषेधाज्ञा लागू है। बिहार में कानून व्यवस्था पर एक पार्टी द्वारा उठाए जा रहे सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के कोई भी मंत्री आते हैं तो उन्हें सुरक्षा दी जाती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की जो जिम्मेवारी है सब पूरी की जाती है।
साथियों बात अगर हम महाराष्ट्र की करें तो, कम से कम तीन हिस्सों- मलाड, जलगांव और संभाजिनगर से हिंसा की खबरें आईं। छत्रपति संभाजीनगर में मंदिर के बाहर पत्थरबाजी और आगजनी हुई। 13 गाड़ियां फूंक दी गईं। पुलिस पेट्रोल से भरी बोतलों के आगे बेबस नजर आईं। पुलिस के मुताबिक, कम से कम 12 लोग जिनमें 10 पुलिसवाले भी शामिल हैं, घायल हुए। मलाड में भी चार कॉन्‍स्‍टेबल समेत कई लोग घायल हैं। शोभा यात्रा के दौरान किसी ने तेज आवाज में गाने बजाने पर आपत्ति की। जलगांव की हिंसा में भी चार लोग घायल हुए। पुलिस अब हिंसा में शामिल आरोपियों की धरपकड़ कर रही है।संभाजीनगर में भीड़ को काबू करने के लिए कुछ धर्मगुरुओं को बुलाया गया। लेकिन भीड़ उनकी बात मानने को तैयार नहीं थी। कुछ ही देर में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों समेत भारी फोर्स मौके पर पहुंच गई। दंगाइयों ने उन पर भी पथराव किया और कार के शीशे तोड़ दिए। पुलिस ने लाठी चार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया। आंसू गैस के गोले भी छोड़े। दंगाइयों ने दमकल विभाग के वाहनों पर पानी भी फेंका।
साथियों बात अगर हम गुजरात और कर्नाटक की तरह तो गुजरात के वडोदरा में फतेहपुरा इलाका हिंसा का मैदान बन गया। पत्‍थरबाजी और गाड़‍ियों को आग लगाने की कई घटनाएं सामने आईं। पुलिस ने अबतक 24 लोगों को हिरासत में लिया है।कर्नाटक के हासन में जुलूस गुजरते वक्‍त दो समूह भिड़ गए। चाकू चले जिसमें दो लोग घायल हुए।फिरहिंसा में दो और घायल हुए।
उत्‍तर प्रदेश की राजधानीलखनऊ में जुलूस निकलते वक्‍त हिंसा भड़की। यात्रा पर पत्‍थरबाजी हुई जिसके बाद माहौल बिगड़ गया। पुलिस ने कहा कि तेज आवाज में म्‍यूजिक बजाने पर विवाद हुआ।
साथियों बहुत अगर हम पश्चिम बंगल की करें तो हावड़ा में रामनवमी के दिन शुरू हुआ बवाल थम नहीं रहा है,शुक्रवार (31 मार्च) को एक बार फिर हिंसा शुरू हो गई। हावड़ा के शिवपुर में पथराव हुआ है, इसके पहले गुरुवार को हावड़ा में रामनवमी के जुलूस पर पथराव किया गया था, इस दौरान कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।हावड़ा और डालखोला इलाकों में रामनवमी पर खूब हिंसा हुई। हावड़ा में भीड़ में कई गाड़ियों को आग लगा दी।दुकानें लूट ली गईं। श्रद्धालुओं पर कांच की बोतलें, पत्थर और ईंट फेंकी गई। शिबपुर में भी हिंसा हुई। डालखोला की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई।पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हुए। जमकर हंगामा हुआ ऐसा टीवी चैनल पर दिखाए जा रहा है।
साथिया बात अगर हम 3 दिन पूर्व माननीय उच्चतम न्यायालय ने हेट स्पीच की सुनवाई की करें तो कहा हर रोज टीवी और सार्वजनिक मंचों पर नफरत फैलाने वाले बयान दिए जा रहे हैं। क्या ऐसे लोग खुद को कंट्रोल नहीं कर सकते?जिस दिन राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे। नेता राजनीति में धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे। उसी दिन नफरत फैलाने वाले भाषण भी बंद हो जाएंगे। हम अपने हालिया फैसलों में भी कह चुके हैं कि पॉलिटिक्स को राजनीति के साथ मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। वहीं,जस्टिस ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी की मिसाल देते हुए कहा,वाजपेयी और नेहरू को याद कीजिए, जिन्हें सुनने के लिए लोग दूर-दराज से इकट्‌ठा होते थे। हम कहां जा रहे हैं?नफरती बयानों यानी हेट स्पीच को लेकर एससी ने तल्ख टिप्पणी की है। जस्टिस ने कहा- यह 21वीं सदी है। हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए, लेकिन आज घृणा का माहौल है। सामाजिक तानाबाना बिखरा जा रहा है। हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है। उसके नाम पर विवाद हो रहे।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दंगाई बनाम सिस्टम, पीड़ित जनता जनार्दन!धार्मिक जुलूसों में दंगाई - सिस्टम व्यवस्था चरमराई - जनता जनार्दन की शामत आई
हर बार धार्मिक जुलूसों और आयोजनों में अव्यवस्था, दंगाईयों का प्रयोजन - स्थाई समाधान खोजने की रणनीति बनाना समय की मांग है।

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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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