प्रतियोगिता | competition

April 04, 2023 ・0 comments

प्रतियोगिता | competition

प्रतियोगिता | competition

प्रतिस्पर्धा एक प्रकार के उद्दीपक का कार्य करता है मनुष्य के जीवन में।जिससे मनुष्य में एक प्रकार से क्रियान्वित होने की प्रेरणा मिलती हैं।ये कोई तेरी साड़ी मेरी साड़ी से ज्यादा सफेद क्यों? वाली ईर्षावश हुई तुलना नहीं किंतु एक योग्य प्रकार की निरामय प्रतियोगिता हो ये आवश्यक बन जाता हैं।प्रतियोगिता का अर्थ एक योग्य विषय पर या अपने पसंदीदा विषय या चयनित विषय और योग्य व्यक्ति या कंपनी के साथ सही तरीके से, आयोजनबद्ध रीत से कुछ असूलों के साथ की गई प्रतिस्पर्धा होनी चाहिएं।
प्रतिस्पर्धा से ही प्रगति के द्वार खुलते हैं अगर वह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो।जिसमें ईर्षा भाव या किसी को मात करने से ज्यादा खुद को विजयी बनाने की स्वच्छ तमन्ना हो।प्रतिस्पर्धा दो व्यक्तियों या दो से ज्यादा व्यक्तियों के बीच,दो कॉलेजों के बीच,दो कंपनियों के बीच कभी कभी दो देशों के बीच भी हो सकती हैं।आज देखें तो पूरे विश्व में प्रतियोगिता का दौर हमेशा से चलता ही रहा था,चलता रहा हैं और चकता रहेगा।
प्रतिस्पर्धा से ही आगे बढ़ने की राह और चाह मिलती है।सब से ज्यादा महत्व तो उत्थान होता है,जैसे दो कंपनियों में किसी उत्पाद में प्रतिस्पर्धा कर बेहतर ये उत्तम कक्षा का उत्पाद बना सकते हैं।वैसे ही शिक्षा जगत में विद्यार्थियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होना आवश्यक हैं जिससे वे आगे बढ़ते हैं,अपने लिए प्रगति का मार्ग ढूंढ पाते हैं।जो थोड़े कम लायक हैं वह भी आगे बढ़ने की प्रेरणा पा आगे बढ़ सकते हैं।हमारी खूबियों निखारने में मदद भी करती हैं।
यहीं तो प्रगति की चाबी है चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो,औद्योगिक,व्यवसाय या किसी भी क्षेत्र की बात करें सभी जगह प्रतिस्पर्धा के बिना प्रगति का होना शक्य नहीं लगता।प्रतिस्पर्धा ही प्रगति का द्वार हैं।आज के जमाने में प्रतियोगिता उत्पाद में ही नहीं इश्तहारों में भी देख सकते है।

About author  

Jayshree birimi
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद (गुजरात)

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