बारिश | kavita- barish
June 04, 2023 ・0 comments ・Topic: Mamta_kushwaha poem
बारिश
आज खूब बारिश हो रही है
याद है वह बचपन का दौरजब होने लगती थी बारिश झमाझम
तो निकलती थी हमारी टोली
बारिश की फुआरों में हमसब
करते खूब मस्ती,नहीं सुनते बड़े बुजुर्गों की
बस अपने ही धून में निकल पड़ते सब
बारिश में भिगने को और
कोई लाता कागज बनाता नाव
तो कोई पत्ते तोड़ छतरी बनाता
तो कोई कीचड़ में उछल कूद करता
याद है वह बचपन का दौर
निश्चछलता परिपूर्ण हम सब खूब खेलते
देखो आज खूब बारिश हो रही है
याद है वह स्कूल का दौर
जब होने लगती थी बारिश
कर स्कूल की छूट्टी भिगते -भिगते
घर लौटते हम सब और
दूसरे दिन जुखाम का बहाना कर
और एक दिन कर देते छुट्टी
कुछ इस तरह करते थे शरारते
वह बचपन का दौर था
हमारा बचपना यादों में रह गया
अब तो दूजे बच्चों को देख
अपना दौर याद करते हैं
और अनकहे किस्से कहते हैं ।
About author
ममता कुशवाहा
मुजफ्फरपुर, बिहार
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