सुनो दिकु.....
तुम हो तो जीवन की खूबसूरती हैतुम हो तो सांसो में ताजगी है
तुम्हारे बिना हर महफ़िल अधूरी
तुम हो तो अंधेरों में भी रोशनी है
ना कोई तत्व मिटा सका तुम्हारी यादों को
ना कोई समां भुला सका तुम्हारी बातों को
मेरी हर बात, हर हरकत में
सिर्फ तुम्हारी ही बातमी है
अब तुम ही बताओ,
क्या मुझ से दूर करने की यह कायनात की सोच, लाज़मी है?
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिये
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