जीएसटी में ईडी की एंट्री | Entry of ED in GST
उई बाबा ! जीएसटी में ईडी की एंट्री
जीएसटी से जुड़े मामलों में ईडी के दख़ल की अधिसूचना जारी - कारोबारियों में हड़कंपजीएसटी में गड़बड़ी, चोरी रोकने का पारदर्शी सटीक उपाय, परंतु कारोबारी जगत में ईडी कार्यवाही के खौफ़ से हड़कंप को रेखांकित करना ज़रूरी - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदियागोंदिया - वैश्विक स्तरपर हर देश में विकास के लिए संस्थागत ढांचा सहित अनेक विकास कार्य होते हैं ताकि जनमानस की सुविधाओं का विस्तार हो सके और उनका जीवन स्तर सुरक्षित संपन्न और प्रगतिशील बने। परंतु इन सब सुख सुविधाओं के लिए आज पैसों की जरूरत होती है जो किसी भी देश के शासन द्वारा टैक्स के माध्यम से जनता से वसूल किया जाता है। फर्क इतना है कि साधन संपन्न अमीर लोगों से टैक्स वसूल कर जनमानस जनहित गरीबों के हित में अनेक नीतियां रणनीतियां योजनाएं बनाकर र्टेक्स कलेक्शन खर्च कर दिया जाता है। परंतु टैक्स में लीकेजेस की समस्या करीब करीब हर देश को है जिसे रोकने के लिए हर देश अपने अपने स्तरपर कानून कायदे नियमावलीयां बनाता है जिसमें पारदर्शिता प बढ़ें और टैक्स बचाने के गलत तरीकों का पर्दाफाश हो और ऐसा घपला करगवर्नमेंट को चूना लगाने वालों को सलाखों के पीछे लाया जा सके, ठीक इसी तर्ज पर भारत में भी आयकर, कस्टम कानून, अप्रत्यक्ष कर जीएसटी कानूनों में समय-समय पर संशोधन किए जाते हैं। इसी कड़ी में 7 जुलाई 2023 को एक अधिसूचना जारी की गई है जिसमें, इनडायरेक्ट टैक्स और कस्टम टैक्स चोरी को रोकने के लिए सरकार की ओर से एक और कदम उठाया गया है। सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, जीएसटी नेटवर्क का डाटा की पूरी सूचना ईडी को दी जाएगी। अधिसूचना पीएमएलए की धारा 66(1)(iii) के तहत ईडी और जीएसटीएन के बीच जानकारी साझा करने के संबंध में है। गौरतलब है कि जीएसटी को लागू किए 6 साल हो चुका है। इस दौरान 2017 से बढ़कर टैक्सपेयर की संख्या दो गुनी हुई है और अभी करीब 1.4 करोड़ टैक्सपेयर्स हैं. वहीं एवरेज मंथली राजस्व भी 2017-18 में लगभग 90, हज़ार करोड़ रुपये से बढ़कर 1.69 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। अब जीएसटी से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सीधा दखल देगा। जीएसटी में गड़बड़ी करने वाले व्यापारी, कारोबारी या फर्म के खिलाफ ईडी कार्रवाई कर सकेगी।चूंकिकारोबारियों में जीएसटी में ईडी की इंट्री की अधिसूचना के खौफ से हड़कंप मचा हुआ है,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, उई बाबा ; जीएसटी में ईडी की एंट्री!
साथियों बात अगर हम जीएसटी में ईडी की इंट्री की करें तो, गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स में गड़बड़ी को रोकने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेट टैक्स नेटवर्क को पीएमएलए के तहत लाने के लिए अधिसूचना जारी की है। अब जीएसटी से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सीधा दखल देगा। जीएसटी में गड़बड़ी करने वाले व्यापारी, कारोबारी या फर्म के खिलाफ ईडी कार्रवाई कर सकेगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस और कस्टम्स टैक्स चोरी रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। अब जीएसटी से जुड़े मामलों में ईडी सीधा दखल दे सकेगी। जीएसटी नेटवर्क का पूरा डाटा भी ईडी से साझा किया जा सकेगा। बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और इसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून बनाया गया है, इसकेतहत सरकार यासार्वजनिक प्राधिकरण को गैरकानूनी तरीके से कमाए गए धन और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार दिया गया है। साल 2002 में धन शोधन निवारण अधिनियम या प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) को पारित किया गया था।उसके बाद एक जुलाई 2005 में इस अधिनियम को लागू किया गया। मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और इसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून को तैयार किया गया था। इसके तहत सरकार गैरकानूनी तरीके से कमाए गए संपत्तियों को जब्त करने का अधिकारी रखती है. साल 2002 में इस कानून को पारित किया गया था. हालांकि धन शोधन निवारण अधिनियम या प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) को 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया।
साथियों बात अगर हम 7 जुलाई 2023 को जारी अधिसूचना मुद्दे पर राजनीतिक विरोध की करें तो जीएसटी काउंसिल की 50 वी इस बैठक के शुरू होने के साथ ही जीएसटी को पीएमएलए एक्ट के तहत लाने के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया था। विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारों ने जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करने का फैसला किया। दिल्ली के सीएम ने ट्वीट किया कि केंद्र सरकार ने जीएसटी को भी पीएमएलए कानून के तहतप्रवर्तन निदेशालय के अधीन ला दिया है, अब अगर कोईकारोबारीजीएसटी नहीं भरेगा तो ईडी सीधे उसे मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लेगी और उसे जमानत भी नहीं मिलेगी।उन्होंने कहा कि जो व्यापारी पूरा जीएसटी चुका रहे हैं, उन्हें भी कुछ प्रावधानों में फंसाया जा सकता है और जेल में डाला जा सकता है। यानें केंद्र सरकार देश के किसी भी कारोबारी को जब चाहे जेल भेज देगी। उन्होंने इसे खतरनाक बताते हुए कहा कि छोटे व्यापारी भी इसकी चपेट में आ जायेंगे। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में सभी लोग इसके खिलाफ बोले, उन्होंने केंद्र सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने को कहा है। विपक्ष में नेता और भारत की सबसे पुरानी पार्टी ने बताया तानाशाही केंद्र सरकार के इस फैसले काको भी विरोध कर रही है सबसे पुरानी पार्टी के मीडिया पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन ने भीजीएसटी काउंसिल की बैठक के दौरान ट्वीट किया कि जीएसटी को पीएमएलए के तहत लाने से ईडी को किसी भी व्यापारी को गिरफ्तार करने का अधिकार मिल जाएगा। पुरानी पार्टी जीएसटी को सरल बनाने की वकालत करती रही है, उन्होंने कहा कि सरकार का यह तुगलकी फरमान करोड़ों व्यापारियों को परेशानी में डाल रहा है। ने कहा कि कांग्रेस इस तानाशाही का पुरजोर विरोध करती है। 7 जुलाई को सरकार ने एक अधिसूचना जारी की।विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने 7 जुलाई 2023 को जीएसटी को पीएमएलए एक्ट के तहत लाने की अधिसूचना जारी की थी। उनका कहना है कि इस फैसले से 1 करोड़ 38 लाख व्यापारी सीधे तौर पर प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में आ जाएंगे, उनका कहना है कि इससे कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा -राज्य में मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने 7 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी करके कहा है की अब जीएसटी भी अब पीएमएलए एक्ट में आएगा। जिसका मतलब 1करोड़ 38 लाख जीएसटी देने वाले व्यापारी ईडी के शिकंजे में आ जाएंगे। ईडी किसी भी बड़े-छोटे दुकानदार पर लगा सकती है पीएमएलए और उसे बिल भी नहीं मिलेगी।
साथियों बात अगर हम जीएसटी में चोरी रोकने के महत्व की करें तो, वैश्विक स्तरपर यह सर्वविदित है कि किसी भी देश का विकास उसके हर क्षेत्र की सटीक नीतियों रणनीतियों सटीक क्रियान्वयन कुशल नेतृत्व पर निर्भर करता है। यदि हर क्षेत्र मसलन शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन सहित सभी क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर संचालन तक की गतिविधियां सुशासन से की जाए तो इसकी पहली सीढ़ी उसके लिए फंड एलोकेशन करना है, जो आमदनी की रेलगाड़ी पर निर्भर करता है जिसका एक महत्वपूर्ण व मजबूत पहिया कर से आमदनी है, जो दो छेत्रों से महत्वपूर्ण है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर है जिसमें जीएसटी की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो भारत में 2017 से लागू किया गया है। जिसका एक स्ट्रक्चर बना हुआ है, जिसमें सभी हितधारकों विशेषज्ञों और शासन की सहभागिता है, जो जीएसटी काउंसिल के रूप में कार्य करते हैं और हर मामले पर काउंसिल की मीटिंग में फैसला लिया जाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करउसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि उई बाबा ! जीएसटी में ईडी की एंट्री।जीएसटी से जुड़े मामलों में ईडी के दख़ल की अधिसूचना जारी - कारोबारियों में हड़कंप!जीएसटी में गड़बड़ी, चोरी रोकने का पारदर्शी सटीक उपाय, परंतु कारोबारी जगत में ईडी कार्यवाही के खौफ़ से हड़कंप को रेखांकित करना ज़रूरी हैं।
About author
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट
किशन सनमुख़दास भावनानी
गोंदिया महाराष्ट्र