सात सुरों से भर दो | saat suron se bhar do kavita

सात सुरों से भर दो

सात सुरों से भर दो
सात सुरों से भर दो
बेरंग सी हुई मेरी दर्द-ए जिंदगी में, रंग भर दो तुम।
जो खुशी मिली न मुझको उस खुशी से मुझे भर दो तुम।।

गुस्ताखी हो गई मुझसे, मोहब्बत कर बैठी हूं तुझसे
गुस्ताखी को नाम दे मेरी, मेरे हर एक ग़म, हर दो तुम।।

न चाह कर, भी तेरी ओर क्यों खींचे चले आए हम
उम्मीद भरे मेरे दामन को, अपना नाम दे कर भर दो तुम।।

हम तो कह दिये अपने दिल मे जो ख्वाहिश दबाए थे।
मेरे अरमान से भरी इस ख़्वाहिश, साकार कर दो तुम।।

मेरे घायल, दिल की पायल, की खनक अब न आती
मेरे दिल की पायल, अपने नाम कि खनक से भर दो तुम।।

चमक संग दमकता था मोहब्बत से कभी मेरा, ये चेहरा
मेरे चेहरे के नूर से, खोई चमक मे वही, चमक भर दो तुम।।

वो भी क्या दिन थे, जब वीणा का नाम सुरमई सा था
खोए वीणा नाम के, हर तारों को सात सुर, भर दो तुम।।

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Veena advani
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र
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