अनगिनत नाम दे कर
मेरे दिल की धड़कनें धड़क कुछ कहती,मेरी सांसें थम-थम चलती ही रहती।
गौर से सुना अपनी सॉंसों, धड़कनों को,
ये हवा संग तेरा नाम ले मतवाली हो बहती।।
तेरे नाम के मोती जोड़-जोड़ बनी जो माला,
उसी नाम माला को सिमर मैं खुश होती।।
सुकून पाई तब, जब ली तेरा नाम सॉंसें मेरी,
कलम चला दिल की बात, तुझे मैं कहती।।
जब चाहती बयां करती सब तेरे सम्मुख मैं,
तू ही मेरी हर सॉंसों का कहदार मैं ये कहती ।
जुंबा पर तेरा नाम, दिल मे तेरे लिए चाहत,
अंखियों में बसाए मैं सिर्फ तेरी सूरत रहती ।।
नाम तेरे अपनी मोहब्बत में इतने रखें हमने,
कभी सॉंवरिया, मोहन, तो गिरधारी कहती।
कोई समझे नहीं हमारी मोहब्ब्त-ए दिवानगी,
देखूं ना जब कभी तुझे मैं, मेरी आंखें बहती।।
मेरी-तेरी मोहब्बत कि प्रेम कहानी ओ कान्हा
भक्ति संग दिल मे सजा बसाए मैं रहती।।
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