नटखट कृष्ण | natkhat krishna

नटखट कृष्ण

नटखट कृष्ण | natkhat krishna
कान्हा, तेरी देख सुंदर छवि प्यारी,
मन हुआ विकारों से खाली।
मनभावन अखियां तेरी,मोहक मुस्कान है।
मोरपंख से सुशोभित मुकुट तेरा,घुंगराले बाल हैं।
बांसुरी कैसे देखो, अधरन छूने को आतुर।
बिन सुने तान जिसकी, मन होता बड़ा व्याकुल।
सुन्दर- सलोना तेरा, रूप अति भाये।
दर्शन मात्र से, ह्रदय प्रेम-भक्ति से भर जाये।
कृष्णा-कन्हैया मेरे ,हे मुरलीधर,
अब तो बरसा दे ,आशीष अपनी हम पर।
हम सब कान्हा तेरे, प्रेम के दीवाने।
बस चाहें कृपा तेरी, और कुछ ना जाने।
कर दे दया, अब बनवारी।
देख सुंदर छवि प्यारी,
मन हुआ विकारों से खाली।

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नंदिनी लहेजा | Nandini laheja
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
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