नटखट कृष्ण | natkhat krishna
September 06, 2023 ・0 comments ・Topic: Nandini_laheja poem
नटखट कृष्ण
कान्हा, तेरी देख सुंदर छवि प्यारी,मन हुआ विकारों से खाली।
मनभावन अखियां तेरी,मोहक मुस्कान है।
मोरपंख से सुशोभित मुकुट तेरा,घुंगराले बाल हैं।
बांसुरी कैसे देखो, अधरन छूने को आतुर।
बिन सुने तान जिसकी, मन होता बड़ा व्याकुल।
सुन्दर- सलोना तेरा, रूप अति भाये।
दर्शन मात्र से, ह्रदय प्रेम-भक्ति से भर जाये।
कृष्णा-कन्हैया मेरे ,हे मुरलीधर,
अब तो बरसा दे ,आशीष अपनी हम पर।
हम सब कान्हा तेरे, प्रेम के दीवाने।
बस चाहें कृपा तेरी, और कुछ ना जाने।
कर दे दया, अब बनवारी।
देख सुंदर छवि प्यारी,
मन हुआ विकारों से खाली।
About author
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.