भारत कनाडा मामले में अमेरिकी रुख पर दुनियां की नज़रें

भारत अमेरिका यारी - कनाडा मामले पर कूटनीतिक हल निकालनें की बारी

भारत कनाडा मामले में अमेरिकी रुख पर दुनियां की नज़रें

भारत कनाडा मामले में अमेरिकी रुख पर दुनियां की नज़रें
कनाडा प्रकरण में अमेरिका की भूमिका - भारत को बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता को रेखांकित करना ज़रूरी - एडवोकेट किशन भावनी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां में जी-20 शिखर सम्मेलन दिल्ली घोषणा पत्र,कुछल भारतीय नेतृत्व,तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बढ़ता जनसमर्थन, हर क्षेत्र में चौमुखी विकास सहित अनेक मुद्दों पर भारत की दस्तक महसूस की जा रही है,जिससे भारत की बॉस औरऑटोग्राफ की उपाधि सिद्ध होते जा रही है।बड़े बुजुर्गों का कहना हैकि घी गोदड़ी में छुपाकर खाना चाहिए वरना ज्वेलेसी रूपी नाग से भिड़ंत होते हुए कमजोर होने और सफलता फिसल जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हम अनेक क्षेत्रों चाहे वह व्यापार व्यवसाय तकनीकी प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में देखते हैं कि आपसी ज्वेलेसी के चलते कंपटीशन, टांग खींचना जैसे कृत्य शुरू हो जाते हैं। वैसे अगर हम इस परिपेक्ष में वर्तमान नए भारत, दबंग प्रतिष्ठित बुलंद भारत को देखें तो स्वाभाविक है, सफलता में उन देशों को मजा ना आता हो और सामने होकर यारी दिलदारी और पीछे टांग खींचने की बारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि आज हर देश अपना ओहदा उच्चपद रुतबा खोना नहीं चाहता इसके लिए यदि वह सामने से कुछ नहीं कर सकता तो, पर्दे के पीछे कुछ संभावनाएं बढ़ जाती है। परंतु सच तो सामने आकर ही रहता है,अगर भारत सच्चा है तो हमारे में कहावत है सचु त बीठो नचु यानें अगर हमसच्चे हैं तो भरे बाजार में लोगों के बीच अपनी सच्चाई का सबूत देकर खुशी से नाच सकते हैं। 

आज यह विषय हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि भारत के रिश्ते अब तक पड़ोसी और विस्तारवादी देश से तल्खी में थे, परंतु विगत कुछ दिनों से कनाडा के साथ तल्खी चल रही है। इसलिए अब इस एंगल से सोचना जरूरी है, क्योंकि यह स्थिति जानबूझकर उठाई गई है या स्वाभाविक है इसे देखने की जरूरत है, क्योंकि कनाडा फाइव आइस, जी7 का सदस्य है, तो अमेरिका हमारा अत्यंत करीबी दोस्त है, जिसके लिए परीक्षा की घड़ी है कि इस मुद्दे को मिलकर सुलझाने की चेष्टा करें, क्योंकि भारत पश्चिमी देशों का सदस्य नहीं है परंतु पश्चिम से बहुत अच्छे रिश्ते हैं। परंतु दबी जबान से यह बात सामने आ रही है कि 28 सितंबर 2023 को वॉशिंगटन डीसी में भारत अमेरिका विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिका ने इस मुद्देको उठाया है, जिसे बाहरी तौर पर साफ इनकार किया जा रहा है ,परंतु मोंटसेंशियल में कनाडा पीएम द्वारा भारत की तारीफ और अमेरिका द्वारा विदेश मंत्रियों की बैठक में मुद्दा उठाने की गारंटी वाली बात कह कर इसपर बल दिया हैऔर रणनीति कूटनीति की बू रही है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, कनाडा प्रकरण में अमेरिका की भूमिका, भारत को बेहद सतर्क रहने को रेखांकित करना जरूरी है।
 
साथियों बात अगर हम 28 सितंबर 2023 को वॉशिंगटन डीसी में भारत अमेरिका विदेश मंत्रियों की बैठक की करें, तो, संभावना जताई जा रही है कि, अमेरिका के विदेश मंत्री ने गुरुवार को समकश के साथ मीटिंग के वक्त निज्जर की हत्या का मुद्दा उठाया। रॉयटर्स के मुताबिक, एक अमेरिकी अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की। अधिकारी ने बताया- उन्होंने भारत सरकार से मामले की जांच में सहयोग करने के लिए कहा है। की दूसरी तरफ,दोनों देशों के विदेश मंत्रियों में से किसी ने भी प्रेसवार्ता में मुलाकात का एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया। हालांकि एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया की इस दौरान कनाडा के पीएम के लगाए आरोपों का मामला विदेशमंत्री ने सामने रखा। मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार, नाम न बताए जाने की शर्त पर अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ब्लिंकन ने भारत को कनाडाई जांच में सहयोग करने का आश्वासन दिया है। वहीं विदेश विभाग के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ लगातार बातचीत और उनसे सहयोग करने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि इससे पहले विदेश मंत्री ने बीते दिनोंकनाडा के आरोपों पर सबूत देने की बात कही थी। उन्होंने कनाडाई पीएम के आरोपों पर कहा था कि अगर आपके पास विशिष्ट जानकारी है, अगर आपके पास कुछ प्रासंगिक है, तो हमें बताएं। हम इसे देखने को तैयार हैं। वे आगे ये भी बोले कि अभी तस्वीर पूरी बन नहीं पा रही है क्योंकि संदर्भ का पता नहीं। इसके साथ ही उन्होंने आईना दिखाते हुए ये भी कहा था कि राजनीतिक कारणों से खालिस्तानियों के प्रतिकनाडा काफी उदार है। साथ ही वह इस दौरान कनाडा में भारतीय राजनियकों को मिलने वाली धमकी और भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर हमलों पर भी चिंता जताई थीं।
 
साथियों बात अगर हम अमेरिका की करें तो,जहां एक तरफ चीन के डर के कारण भारत के साथमजबूत सामरिक संबंध बनाना चाहता है तो वहीं दूसरी तरफ भारत की एकता और अखंडता को चुनौती देने वाले आतंकवादी तत्वों को पनाह देने वाले कनाडा का साथ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अमेरिका दशकों तक भारत को परेशान करने के लिए पाकिस्तान का भी इसी तरह से इस्तेमाल करता रहा है। लेकिन भारत बदल रहा है और अब समय आ गया है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को यह साफ-साफ बता दिया जाए कि सामरिक साझेदारी, व्यापार और आर्थिक समझौता भारत के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है लेकिन यह भारत की एकता अखंडता और संप्रभुता से बढ़कर ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है और यह बात अमेरिका और उसके सहयोगी देश जितनी जल्दी समझ ले उतना ही यह विश्व की शांति के लिए बेहतर होगा। 

चीन की आक्रामक नीति से परेशान अमेरिका एक तरफ जहां भारत को अपने एक मददगार देश के तौर पर देख रहा है, दोनों ही देश चीन की आक्रामक नीतियों के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं, संयुक्त सैन्याभ्यास कर चीन को संकेत दे रहे हैं, आर्थिक मोर्चे पर लगातार नए-नए समझौते कर आर्थिक संबंधों को मजबूत कर रहे हैं। यहां तक कि रक्षा क्षेत्र में भी कई विकल्प होने के बावजूद भारत अमेरिका के साथ रक्षा समझौते कर उसकी अर्थव्यवस्था को मदद देने का काम कर रहा है लेकिन इसके बावजूद अमेरिका की चुप्पी ने भारत को सतर्क कर दिया है।निज्जर हत्याकांड में कनाडा द्वारा लगाए गए बेतुके आरोप की वजह से भारत और कनाडा के रिश्तों पर तो बुरा असर पड़ ही रहा है।लेकिन इस पूरे मामले में कई जानकारी के सामने आने के बाद अब अमेरिका के रुख को भी लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
 
साथियों बात अगर हम कनाडाई पीएम का मोंट्रियल में दिए गए वक्तव्य की करें तो, कनाडाई पीएम ने कहा किउन्हें अमेरिका से आश्वासन मिला है कि विदेश मंत्री गुरुवार को वाशिंगटन में भारतीय विदेश मंत्री के साथ बैठक के दौरान निज्जर हत्या में भारत की भूमिका के बारे में सार्वजनिक रूप से लगाए गए आरोपों को उठाएंगे। मीडिया के मुताबिक, पीएम ने कहा कि अमेरिका भारत सरकार से बात करने में हमारे साथ रहा है। उन्होंने कहा, यह कुछ ऐसा है जिसे सभी लोकतांत्रिक देशों और कानून के शासन का सम्मान करने वाले सभी देशों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। आगे कहा, हम भारत सरकार के प्रति अपने दृष्टिकोण सहित अपने सभी साझेदारों के साथ कानून के शासन में रहते हुए एकविचारशील जिम्मेदार तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा,भारत एक बढ़ती हुई आर्थिक शक्ति और महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक खिलाड़ी है। जैसा कि हमने पिछले साल अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति में कहा था कि हम भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने को लेकर बहुत गंभीर हैं। जाहिर तौर पर कानून के शासन वाले देश के रूप में, हमें इस बात पर जोर देने की जरूरत है कि भारत को यह सुनिश्चित करने के लिए कनाडा के साथ काम करने की जरूरत है कि हमें निज्जर के मामले के पूरे तथ्य मिलें। कनाडा के पीएम ने भारत से गतिरोध के बीच कहा है कि कनाडा अभी भी भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। एक बार फिर कथित आरोपों को लेकर कहा कि खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या मेंभारत सरकार की संलिप्तता के विश्वसनीय आरोपों के बावजूद कनाडा अभी भी भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत के दुनिया भर में बढ़ते प्रभाव की ओर इशारा करते हुए ट्रूडो ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कनाडा और उसके सहयोगी भारत के साथ जुड़े रहें। मॉन्ट्रियल में एक प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए ट्रूडो ने कहा कि उन्हें लगता है कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि कनाडा और उसके सहयोगी विश्व मंच पर भारत के बढ़ते महत्व को देखते हुए उसके साथ रचनात्मक और गंभीरता से जुड़ते रहें। उन्होंने ये भी कहा कि साथ ही कानून के शासन वाले देश के रूप में हम चाहते हैं कि भारत, कनाडा के साथ मिलकर काम करे, आगे कहा किअमेरिका हमारे साथ है और वह भारत के सामने कनाडा की धरती पर कनाडाई नागरिक की हत्या के मामले को उठा रहा है। आगे कहा कि सभी लोकतांत्रिक देश चाहते हैं कि, सभी देश उनके कानून का सम्मान करें और उसे गंभीरता से लें।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतअमेरिका यारीकनाडा मामले पर कूटनीतिक हल निकालने की बारी।भारत कनाडा मामले में अमेरिकी रुख पर दुनियां की नज़रें। कनाडा प्रकरण में अमेरिका की भूमिका - भारत को बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता को रेखांकित करना ज़रूरी

About author

kishan bhavnani
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url