कविता – याद करती हो?

याद करती हो?

कविता – याद करती हो?
सुनो दिकु....

क्या आज भी तुम मुज़े याद करती हो?
मेरी तरह क्या तुम भी, आँखें बंदकर मुज़ से बात करती हो?

गज़ब का मोड़ ले लिया, तुम ने और ज़िन्दगी ने तुम्हारी
पर आज भी, तुम्हें हरपल याद करने की आदत है हमारी

क्या प्रेम के प्यार पर, आज भी विश्वास करती हो?
सुनो दिकु, क्या आज भी तुम मुज़े याद करती हो?
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए

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प्रेम ठक्कर | prem thakker
प्रेम ठक्कर
सूरत ,गुजरात 
ऐमेज़ॉन में मैनेजर के पद पर कार्यरत  
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