कविता: दिवाली | kavita Diwali
कविता: दिवाली
सुनो दिकु...अंतर्मन का अँधेरा मिट जाएगा
तुम्हारे आने से दिल का दीप जल जाएगा
धरा होगी नर्म-सी शीतल
इश्क में यह आसमान भीग जाएगा
अंधकार में डूबा हुआ जीवन प्रेम का
तुम्हारे पैरों की आहट सुनकर
खुशी से प्रज्वलित हो जाएगा
अंतर्मन का अँधेरा मिट जाएगा
तुम्हारे आने से दिल का दीप जल जाएगा
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए
About author
प्रेम ठक्करसूरत ,गुजरात
ऐमेज़ॉन में मैनेजर के पद पर कार्यरत