प्रेम इंतज़ार कर रहा है | kavita prem intezar kar raha hai
कविता : प्रेम इंतज़ार कर रहा है
सुनो दिकु...दिल के दर्द की पीड़ा अब नहीं सही जा रही
मेरे होंठों पर पहले-सी खिलखिलाहट अब नहीं आ रही
बस करो, अब और ना तड़पाओ
प्रेम इंतजार कर रहा है, चले आओ
सांसे रुक-रुक कर चलती हैं
बस अब ऐसे ही मेरी हर शाम ढलती हैं
क्यों दूर हो मुझ से, कारण तो बताओ
प्रेम इंतजार कर रहा हैं, चले आओ
में जानता हूँ कि तुम्हें भी प्रेम हैं प्रेम से
पर बंधी हुई हो ज़िम्मेदारी से
में तुम्हारे हर निर्णय से सहमत हूँ
बस सिर्फ एक बार प्रेम की हालत देख जाओ
प्रेम इंतजार कर रहा हैं दिकु, प्लीज़ चले आओ
पर बंधी हुई हो ज़िम्मेदारी से
में तुम्हारे हर निर्णय से सहमत हूँ
बस सिर्फ एक बार प्रेम की हालत देख जाओ
प्रेम इंतजार कर रहा हैं दिकु, प्लीज़ चले आओ
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए
About author
प्रेम ठक्करसूरत ,गुजरात
ऐमेज़ॉन में मैनेजर के पद पर कार्यरत