कविता-सूखा पेड़ | sukha ped
कविता-सूखा पेड़
जैसे किसी प्यासे को पानी की प्यास है
दूसरे हरेभरे वृक्ष को देख कर थोड़ा उदास है
मैं दूसरों को छाया दूं सूरज का ऐसा प्रकाश है
सूखे पेड़ को हराभरा होने की आश है
खाद, बीज पानी की जरूरत इसे खास है
फिर फूल आए या फल आए, इसमें भी वैसी ही मिठास है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है
जीवन है इसमें देखभाल की इसे तलाश है
देगा आक्सीजन यह इसमें भी सांस है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है
न करें इसका पतन करें इसका जतन इसमें भी सुहास है
है यह धरती का अनमोल रतन प्रकृति का इसमें वास है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है।