पापा की परछाई | Papa ki parchhayi
May 26, 2024 ・0 comments ・Topic: kanchan chauhan poem
पापा की परछाई
पापा ये कभी कह नहीं पाते,कितना प्यार है लाडले बेटे से।
देखें हर दम अपनी परछाईं ,
अपने लाडले बेटे में।
बिना मांगे ही कुछ भी दे दें,
मांगे तो कितनी बात सुनाते,
नासमझी का आरोप लगाते,
हर पल बस यही जतलाते,
इसे समझ नहीं आनी है।
बेटा भी कभी समझ ना पाए,
पापा, मुझसे क्यों गुस्सा रहते हैं,
मां को बेटा हर बात बताएं,
पापा को कुछ कह ना पाए ।
बाप बेटे के बीच की दूरी,
बस यूं ही बढ़ती जाती है।
संवाद की ये कमी हमेशा,
रिश्तों में दूरी ही लाती है।
पापा का वो लाडला बेटा,
कभी समझ नहीं पाता है ,
क्यों पापा कभी कह नहीं पाते,
कितना प्यार वो करते हैं।
जीवन के अंतिम पड़ाव पर,
जब ये रिश्ता आ जाता है,
इस रिश्ते की गहराई को ,
हर बेटा समझ ही जाता है।
बिन बोले क्यों समझ ना पाया,
ये सोच कर वो पछताता है।
पापा का है लाडला बेटा,
ये सोच कर वो इतराता है,
पापा की हर जिम्मेदारी,
बिन कहे पूरी निभाता है।
पापा का वो लाडला बेटा,
पापा की परछाई बन जाता है।
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