poem on village in hindi | गांव पर कविता
June 27, 2021 ・0 comments ・Topic: poem Rajesh Shukla
कविता-देखो कितने गांव बदल गए...।

हर देहात के ताव बदल गए,
देखो कितने गांव बदल गए।
कुआ बाबड़ी ,पानी भूले ,
देखो तो तालाब बदल गए।
खेड़ापति अब नहीं खुले में,
गुम्बद और सिढाव बदल गए।
कक्का मम्मा छोड़ बाई सब,
अंकल बन कर भाव बदल गए।
धोती कुर्ता छोड़ के गमछा,
जीन्स पहन,पहनाव बदल गए।
पहन सलूका थी इठलाती,
हर शबाब के ख्बाव बदल गए।
गांवों के संस्कार हैं बदले,
लोगों के वरताब बदल गए।
रेडचीफ के जूते पहने,
खेत तक जाते पांव बदल गए।
राजेश शुक्ला ,सोहागपुर
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