Gazal-azad gazal by ajay prasad

आज़ाद गज़ल

Gazal-azad gazal by ajay prasad


मुझें साहित्यकार समझने की आप भूल न करें उबड़-खाबड़,कांटेदार रचनाओं को फूल न कहें। मेरी रचनाएँ बनावट और सजावट से हैं महरूम कृपया  आलोचना करें मगर  ऊल-जुलूल न कहें । हाँ चुभते ज़रूर हैं चंद लोगों  की नज़रों में यारों हक़ीक़त में हैं नागफनी ,इन्हें आप बबूल न कहें। कुछ तो बदलाव लाया जाए परंपरागत लेखन में सदियों से रहा यही है साहित्य का उसूल न कहें । बड़े आए अजय तुम साहित्य के सुधारक बनकर बहुत सह लिया हमनें आपको,अब फ़िज़ूल न कहें  -अजय प्रसाद
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