kavita kitni lahren baki hai by anita sharma
"कितनी लहरें बाकी हैं"
कितनी लहरें अभी बाकी हैं,
कितनी लहरें आकर जा चुकी ।
कितने बवंडर उठे यहाँ ,
कितने रिश्तों को निगल गये।
कितनों ने अपनों को खोया है,
कितने सैलाब थम से गये।
कितनी पीड़ा को सहते हैं,
कितनी बातों को याद करें।
कितनी विपदाओं को झेला है,
कितनी विपदा अभी बाकी हैं।
कितने प्रश्न उठते मन में,
कितने बवंडर अभी बाकी हैं।
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---अनिता शर्मा झाँसी----स्वरचित रचना-----