Laghukatha dar ke aage jeet hai by gaytri shukla
June 11, 2021 ・0 comments ・Topic: story कहानी
डर के आगे जीत है
समय बीता अब रिमझिम स्वयं एक माँ थी । उसके चार साल के बेटे का शरीर बुखार से तप रहा था घर पर वह और उसकी सास थे ।सास खुद घुटनों के दर्द से परेशान रहती थीं । पति काम के सिलसिले में शहर से बाहर थे । उसने अपने फैमली डॉक्टर को फोन किया वे घर आने में असमर्थ थे पर पूरी जानकारी लेने के बाद कुछ दवाओं के नाम लिखकर मोबाइल पर मैसेज किए । अब इन्हे मेडिकल स्टोर्स से लाए कौन? जो सोसायटी से बहुत दूर है । घर के आँगन में खड़ी स्कूटी मुँह चिढ़ा रही थी ।
खैर आस - पड़ोस में विनती करके रिमझिम ने दवाएँ मँगवा तो ली पर अब तक शाम होने को आ रही थी । बच्चे की तकलीफ देखकर उसे महसूस हो रहा था काश .....मैंने अपने डर को जीत लिया होता ।
गायत्री बाजपेई शुक्ला
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