Sapne by shri shiv narayan jauhari vimal

 सपने

Sapne by shri shiv narayan jauhari vimal



दो आँख चिपका दी गई हैं


हरेक चहरे पर


पढो दस्तावेज दुनिया की


चित्रपट देखो और


सुलझाओ पहेली


दीन दुनिया की  |


 


रोशनी हो मन साथ हो


और ऑंखें खुली हो


तो दुनिया का सफ़र संभव


आँखे बंद कर के अंधेरे में


सफ़र की कोंई भी


सीमा नहीं होती |


 


उस आँख को जिससे


देखते हैं रात भर सपने   


रोशनी की मन की  


जरूरत ही नहीं होती |       


पुरानी खोल कर फ़ाइल


मन चाही कोई तस्वीर


फिर से दिखा सकती हैं


चहरे पर लगी आँखे |


सपनों वाली आँख में


यह क्षमता नहीं होती |


 


कहाँ है और कैसी है


कितनी बड़ी है वह आँख  


अँधेरे मैं देखने की क्षमता


दी गई  जिसको |


एक ही पेड़ में


दो अलग रंग के फूल |  |


 


सपने देखने में


कोइ भी खतरा नही है  


न विवाद न आस्तीन में खंजर


न दंगे न पथराओ लाठी चार्ज     


 न रेल को रोके बैठी हुई भीड़


न छुआ छूत न रिज़र्वेशन


न वद्रोह के नारे |


सुख शान्ति के  साम्राज्य में


धीरे से उतरते स्वपन के पंछी |   


 


स्वप्न बुनने की कला और         


दक्षता प्राप्त है उस आँख को |


कहीं की ईंट कहीं का रोढा


भानमती ने कुनबा जोड़ा


इस तरह भानमती  के डिब्बे से


उठाई  चिंदियों से त्वरित  


बुन लेती नया सपना |                                 


सम्मोहन से भरी


वह झील सपनों की  


द्रष्टा डूब जाता है |


पकड़ कर स्वप्न की उंगली


कभी निद्रित अवस्था मैं  


चला जाता है मीलों तक |


 


सपने में जिस घटना ने


डराया था चाहे जीवन में


घटित वह हो नहीं पाई   


किन्तु वैसा हो न जाए


इसी आशंका से घिरे


हम रोज़ मरते हैं |


जो होना है वह


हो कर ही रहेगा


किसी का कोई उस


पर बस नहीं चलता |


  


अधिकांश सपने


सच नहीं होते 


मगर कोनसा सपना


सत्य का पूर्बाभास है


यह कह सकना कठिन है  |


मस्तिस्क के किसी कोने में


छिपी होगी वह आँख


वैज्ञानिकों के पास भी


इसका कोइ उत्तर नहीं


श्री शिवनारायण जौहरी विमल

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url