Bhatka pyar by kamal bhansali
भटका प्यार
बदली सी, तेरी सूरत बहुत कुछ कहती
इन आँखों में, तस्वीर दूसरे की सजती
तेरे गुमशुदा ख्यालों में, बेवफाई रहती
मुखरित हुआ, जब भी अनचाहा प्यार, तुम्हारा
सच कहता, दिल विश्वास से कहता, नहीं मेरा
उसांस भर न कहना, सिर्फ अहसास ही है, मेरा
माना स्वल्प जीवन, बहुत सारे अरमान रखता
पर बेरुखी की कंपकंपी से, जिगर ठहर जाता
एक अदृष्यत स्वप्न, पलकों तले छिप सा जाता
सबकुछ समझ कर, सदा दिल मुस्कराता
असहज न हो प्रिय, बेवफाई में ऐसा होता
क्षण के लिए मन का, समर्पण भटक जाता
प्यार का प्यार ही रहने दो, इसका इम्तहां न दो
समझो कसक प्यार की, सिर्फ जरा विश्वास दो
तौहफा है प्यार, बिन कसम का जुनून बहने दो
कदम भटके, दिल कहीं और तेरा भटके
दिलवर, बेगानी हसरतों के न लगे झटके
लौट आ, कई तूफानों में कश्ती न अटके
प्रिय, साँझ, सवेरे में कितना कुछ घट बढ़ जाता
उम्मीद, नाउम्मीद से वर्तमान का पन्ना भर जाता
शुकून होता ,भटका प्यार, जब आलिंगन पा जाता
✍️ कमल भंसाली
Very nice💕