Kaise puja? By kamal siwani bihar

 कैसी पूजा ?

Kaise puja? By kamal siwani bihar


दया - प्रेम ना उर अंतर में , और पूजा पत्थर की । हे मानव यह कैसी तेरी , भक्ति है ईश्वर की ? रोते जन का हाल ना पूछें , बैठें जा मंदिर में । क्या ईश्वर का वास नहीं है , किसी जीवित नर में ? कहता धर्म सभी प्राणी हैं , ईश्वर की ही छाया । तो फिर उनसे नजर फेरकर , कहाँ लगाते माया ? भूखे को भोजन देना , प्यासे को देना पानी । निर्बल जन पर दया दिखाना उर ला मधुरिम बानी ।। भटके जन को ज्ञान देकर के , सच की राह दिखाना । रोतों के अश्रु बूँदों को , अपने हाथ सुखाना ।। आपके इन कर्मों से उर , कोई जो हर्षित होता । सत्य जानिए वही ईश को , भक्ति - पुष्प पिरोता ।। ना कि दुनिया को दिखलाने , आडंबर अपनाना । तीर्थ -धाम का पता हाथ ले , उनका फेर लगाना ।। रखकर द्वेष किसी प्राणी से , पत्थर पर शीश धारें । तन-मन-धन की समिधा लेकर ,सर्व उस पर वारें ।। सत्य मानिए इससे अपना ,भला न कुछ कर सकते । जीवन बीत जाएगा सारा , यूँ ही राह भटकते ।। सत्य मार्ग है क्या जीवन में , उसको तो पहचानें । तब फिर अपने भक्तिभाव की , परम सच्चाई जानें ।। -- -- कमल सीवानी , रामगढ़ ,सीवान ,बिहार
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