swarg kavita by anita sharma jhasi
स्वर्ग
सुकर्म को चुनो है अब,
मनःशान्ति सुख मिलता।
स्वर्ग सा आनंद धरा में मिलता,
छोड़ दे विकृतियों को मनुज अब।
मैं ,मेरा में उलझा जग है,
अहम् मिथ्या में सब उलझे ।
सहजता को उतारेंगे अंतस में,
तभी जीवन स्वर्गीय शान्तिमय होगा।
अगर कहीं है स्वर्ग तो,
सुखद अनुभूति पूर्ण जीवन।
खुशी के पलों को अपनाओ,
सरलता का समन्वित जीवन हो।।
----अनिता शर्मा झाँसी
------स्वरचित /मौलिक। रचना