Agar aisa ho paye kavita by Jitendra Kabir

 अगर ऐसा हो पाए

Pani kavita by Rajesh shukla madhya pradesh


छू पाऊं अपने शब्दों से

किसी के मन को,

तो मेरा लिखना सफल है।


जगा पाऊं अपने शब्दों से

किसी के सोए अरमान,

तो मेरा लिखना सफल है।


दिला पाऊं अपने शब्दों से

किसी को भूली-बिसरी याद,

तो मेरा लिखना सफल है।


सुला पाऊं अपने शब्दों से

किसी बेचैन को अच्छी नींद,

तो मेरा लिखना सफल है।


भुला पाऊं अपने शब्दों से

किसी का थोड़ा सा ग़म,

तो मेरा लिखना सफल है।


हिला पाऊं अपने शब्दों से

किसी का सोया जमीर,

तो मेरा लिखना सफल है।


दिखा पाऊं अपने शब्दों से

किसी को सही राह,

तो मेरा लिखना सफल है।


               जितेन्द्र 'कबीर'


यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति - अध्यापक

पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

संपर्क सूत्र - 7018558314

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