Pani kavita by Rajesh shukla madhya pradesh
August 04, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
कविता : पानी....
रफ्ता रफ्ता रफ्ता
कम हो रहा है पानी
कुएं में, बाबड़ी में
कावड़ और कावड़ी में
नदियों में जलासों में
भूखे की प्यासों में
हर पांव की मीलों में
पोखर और झीलों में,
जगते हुए सपनों में
गैरों में अपनों में,
दिल में और मुक्कदर में
सब सात समंदर में,
पानी की कमी क्यों है?
आखों में नमी क्यों है?
बस एक दुहाई है
पानी भी खुदाई है!
पानी में जिंदगी है
पानी में बन्दगी है,
पानी को बचाने की,
बस एक कहानी हो
इंसान में पानी हो,
इंसान में पानी हो....।
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राजेश शुक्ला
सोहागपुर जिला होशंगाबाद
मध्यप्रदेश
स्वरचित
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