Geet by mainudeen kohari
August 07, 2021 ・0 comments ・Topic: geet poem
गीत
गीत गाए जा..
गुनगुनाए जा...
हो सके तो...हो सके तो...
मजलूम का दिल बहलाए जा ...!
गीत गाए जा ...
राहों में कांटे भी आएंगे
उनसे न घबराना ...
हो सके तो ... हो सके तो ...
काँटों को भी सहलाए जा ...!
गीत गाए जा....
पर सेवा भी उपकार है
जीवन का इसमें सार है
हो सके तो...हो सके तो ...
नर सेवा में जीवन लगाए जा ...!
गीत गाए जा ...
काम-क्रोध-लोभ को तज दे
सुख से जीवन जीना है तो
हो सके तो ... हो सके तो ...
हंसी-खुशी से जीवन जीए जा ... !
गीत गाए जा ...
ऐ " नाचीज" तू भी अब सोच ले...
इस दुनियां से इक़ दिन जाना है...
हो सके तो ... हो सके तो ...
मन-वचन-कर्म से अच्छा कुछ किए जा ... !!!
गीत गाए जा...गुनगुनाए जा
हो सके तो ...हो सके तो ......!
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मईनुदीन कोहरी "नाचीज़ बीकानेरी"
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