Insan ke bhesh me shaitan by Jitendra Kabir

 इंसान के भेष में शैतान

Insan ke bhesh me shaitan by Jitendra Kabir



हमारा समाज भरा पड़ा है

ऐसे लोगों से 

जो सोशल मीडिया पर जमकर देते हैं

दूसरों को मां-बहन की गालियां,

अपने विरोधियों की बहन-बेटियों के लिए 

निकलती हैं उनके मुख से 

बहुत बार दुष्कर्म की धमकियां,

कम हैं यहां पर जिस तरह से संभावनाएं 

इन कृत्यों के लिए उन्हें सजा मिलने की,

भविष्य में मौका मिलने पर हो सकते हैं ऐसे लोग 

बड़ी आसानी से संभावित दुष्कर्मी।


हमारा समाज भरा पड़ा है

ऐसे लोगों से

जिनके दिलों-दिमाग में अरसे से दबी हैं

दूसरे धर्म और जाति के लिए

नफरत व घृणा की चिंगारियां,

सामान्य बातों को भी आए दिन

सांप्रदायिकता का रंग देकर वो लोग

बहुतों के लिए खड़ी करते हैं परेशानियां,

ऐसे लोग सत्ता के शिखर पर पहुंच जाएं

जिस देश में गलती से भी,

तो अंदरूनी एजेंडा रहता है उनका

वैमनस्य फैला दूसरों को दबाने का ही,

बेशक जनता के सामने बोलें वो कुछ भी।


                                     जितेन्द्र 'कबीर'

                                     

यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति - अध्यापक

पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

संपर्क सूत्र - 7018558314

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