Shan-a-hind by jayshree birmi

 शान ए हिंद

Shan-a-hind by jayshree birmi



शान हैं मेरी तू ही ओ तिरंगे

जान हैं मेरी तूही ओ तिरंगे

चाहे दिल मेरा तू ही मुझे दे रंग

शांति भरे है तेरे सब ही रंग

तेरी ही छांव में रहे ये देश मेरा

तू ही गौरव और तू ही हैं मान मेरा

जब तू लहराए आसमां में

लगे इंद्रधनुष सा तू आसमां में

हर बसर की  हैं ये ख्वाहिश 

बना ही रहे आसमां में

तेरी शान में चाहे देनी पड़े जां भी

तूही हैं सभी ही जन मन मैं

झुके हैं सभी के सर तेरे नमन मैं

मेरी जान और शान तू बना रहे बुलंदियों में

जयश्री बर्मी 

सेवा निवृत्त शिक्षिका

अहमदाबाद

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