Sochne se kuch nahi hoga by Jitendra kabir

August 06, 2021 ・0 comments

 सोचने से कुछ नहीं होगा

Sochne se kuch nahi hoga by Jitendra kabir



जब तक रहेगा

कोई नया, अच्छा व क्रांतिकारी विचार

हमारे दिमाग में ही,

व्यवहारिक रूप से हो नहीं पाएगा

वो कार्यान्वित कभी,

होता नहीं जब तक ऐसा

तब तक शून्य उसका परिणाम रहेगा,

बदल सकता था जो दुनिया

अंततः बनकर 

वो सिर्फ ख्याली पुलाव सड़ेगा।


दर-असल किसी भी योजना 

अथवा विचार का

पहला मूल्यांकन तो होता है

हमारे दिमाग में ही,

लेकिन वो सफल होगा या नहीं

इसका पता चलेगा

उसको कार्य रूप में परिणत करके ही,

होता नहीं जब तक ऐसा

तब तक वो केवल अनुमान रहेगा,

कुछ बदलना तो दूर की बात

दुनिया में उसका

बाकी न कोई नामोनिशान रहेगा।


                             जितेन्द्र 'कबीर'


यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति- अध्यापक

पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

संपर्क सूत्र - 7018558314

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