Antar by Jitendra Kabir
September 13, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
अंतर
कहीं पर दुर्घटना कोई होने पर..
घायलों की सहायता के लिए
जितनी संख्या में लोग हाथ बढ़ाते हैं
और जितनी संख्या में लोग
वहां खड़े होकर केवल वीडियो बनाते हैं,
दोनों तरह के लोगों की संख्या में यह अंतर ही
हमारे समाज में मौजूद संवेदनशीलता
व असंवेदनशीलता का अंतर है।
किसी पर अत्याचार कोई होने पर..
उसके समर्थन में न्याय के लिए
जितनी संख्या में लोग खड़े हो जाते हैं
और जितनी संख्या में लोग
पीड़ित को ही अत्याचार का दोषी ठहराते हैं,
दोनों तरह के लोगों की संख्या में यह अंतर ही
हमारे समाज में मौजूद न्यायप्रियता
व स्वार्थप्रियता का अंतर है।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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