Vandana guru charno me karti by Anita Sharma
विधा-पद्य
वंदना गुरु चरणों में करती
वंदना गुरु चरणों में करती
नित-नित शीश झुकाती हूँ।
हाथ जोड़कर प्रणाम करूँ
हृदय से आभार मानती हूँ।
प्रथम गुरु मातृशक्ति को मेरा
जिसने जन्म दिया मुझको।
धन्य मानती पितृ-छाँव को
जिनने जग का ज्ञान दिया।
मातृ पितृ को वंदन करती
जिनने कदम बढ़ाना सिखलाया।
जिनने हिम्मत से मुझको
संसार से सामन्जस्य सिखलाया।
हर कदम पर साथ रहे वे
हर कर्म का ज्ञान दिया ।
किस गुरु से दीक्षा लूँ
कौन माँ पिता सा त्यागी ?
सच्चा गुरु बच्चे का कोई है
वो सिर्फ माता-पिता होता।
मैं पूजूं मात-पिता को ही
वही सच्चे गुरु मार्गदर्शक है।।
-----अनिता शर्मा झाँसी
-------मौलिक रचना