Shant tatasth tapasvi sa himraj by Anita Sharma
September 13, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
शान्त तटस्थ तपस्वी सा हिमराज।
शान्त तटस्थ तपस्वी सा हिमराज।
श्वेत रजत अविराम विस्तारित।
सुषमा सुशोभित शाश्वत स्निग्ध शान्त।
ओजस्वी साधक सा हिमराज।
प्रकृति छवि मनमोहक मधुर।
मौन तपस्वी साधना में लीन।
मानों चिर ध्यान मुद्रा में मग्न।
रजत पट और विश्रान्ति योग।
आलौकिक शक्तियों का समन्वित रूप।
अमूल्य धरोहर वनस्पति जगत।
औषधीय गुणों का विविध भण्डार।
गंगोत्री की उदगम्य स्थलीय।
शान्त चित्त सौम्य मनमोह दृश्य।
आह मधुर मनमोहक रूप!
विविध रंगों और उमंगो का एकाकार।
विभिन्न पक्षियों का प्रवास स्थलीय ।
अति उत्तम सृजन समां ईश्वर का।
स्वर्ग सा आनंद और शान्त स्थलाकृति।
-----अनिता शर्मा झाँसी
------मौलिक रचना
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