Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav


बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav


हमारा परिवेश


बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं

इस परिवर्तन के कारण प्रकृति अपने आप को असंतुलित महसूस कर रही है

जब प्रकृति अपने आप को संतुलित करने का प्रयास करती है तो देश पर ,हमारे समाज पर, हमारे आसपास विभिन्न प्रकार के समस्याएं उत्पन्न होती हैं जैसा कि वर्तमान में इस कोरोना महामारी को ही देख सकते हैं इसके दूसरे लहर में ऑक्सीजन की कमी लोगों को तंग कर दी एकदम लोग अपने अपने घर परिवार को लेकर ऑक्सीजन के लिए भटक रहे थे बाजार में ऑक्सीजन को लेकर एक प्रकार की लूट मची थी

विकास के नाम पर शहर से लेकर गांव तक बड़े-बड़े बिल्डिंग फ्लैट आदि बन रहे हैं उपजाऊ खेती नष्ट हो रही है उस पर पूरा कंक्रीटो का शहर बसाया जा रहा है लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है एक से बढ़कर एक प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं लेकिन विकास के दौर में अंधे हो चुके हम सभी यह भूल गए हैं कि जिनसे हमारा अस्तित्व है जिनके कारण हम जीवित हैं उन्हीं को हम खो रहे हैं उसी को हम नष्ट कर रहे हैं यही कारण है कि हमारे आसपास लगातार प्राकृतिक परिवर्तन हो रहा है और प्राकृतिक परिवर्तन होने का कारण है कृत्रिम परिवर्तन, क्योंकि जब कृत्रिम परिवर्तन किया जा रहा है तो प्रकृति अपने को संतुलित करती है जब अपने को संतुलित करती है तो कुछ ना कुछ आपदाएं आती हैं और उसे हम लोगों को सामना करना पड़ता है

हम सब को चाहिए कि अपने आसपास अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाएं एवं उसे नष्ट होने से बचाएं 5 जून को सिर्फ पौधे लगाकर यह दिखाना कि आज एक साथ 1000 पौधे लगे और 1 महीने में एक भी नहीं बचे ऐसा बिल्कुल ना करें एक ही पेड़ लगाएं लेकिन उसकी सेवा करें उसे अपने पुत्र के समान माने वह आप के पुत्र और घर परिवार समाज सबको निस्वार्थ भाव से ऑक्सीजन देगा छांव देगा लकड़ियां देगा फल देगा

हम सबको अपने परिवेश में अर्थात अपने आसपास एक सुंदर सादगी से भरपूर प्राकृतिक वातावरण बनाए रखना चाहिए क्योंकि इसी प्राकृतिक वातावरण के कारण ही हम रोगों से मुक्त रहेंगे ।

पूरे परिवार के साथ लगभग सभी लोग स्वस्थ रहेंगे हम सबको यह चाहिए कि सिर्फ प्राकृतिक वातावरण ही न बनाए रखें बल्कि साफ सफाई भी होनी चाहिए कूड़े को उचित स्थान पर डालें पॉलिथीन का कम प्रयोग करें और हमेशा यह प्रयास रहे ऐसा कोई भी काम ना करें जिससे प्रकृति को किसी भी प्रकार का कष्ट पहुंचे क्योंकि जब प्रकृति को कुछ कष्ट पहुंचेगा तो न्यूटन के नियम के अनुसार वह आपको भी कष्ट देगी ।

पर्यावरण -

आइए पर्यावरण को समझते हैं।    

पर्यावरण का अर्थ

सबसे पहले हमें पर्यावरण शब्द का अर्थ जान लेना चाहिए पर्यावरण शब्द का यदि संधि विच्छेद किया जाए तो परि +आवरण होगा यहां पर परि मतलब चारों तरफ आवरण मतलब घिरा हुआ अर्थात हमारे चारों तरफ पेड़ पौधे नदी जंगल जमीन नदियां पहाड़िया घाटिया इन सब से घिरे हुए हैं इन्हीं सब को मिलाकर हम पर्यावरण कह सकते हैं और इस पर्यावरण के हम सब एक घटक हैं जो इस में सम्मिलित है ।

मैंने ऊपर भी बात कही है कि हमें प्राकृतिक चीजों अर्थात जल जंगल जमीन पेड़ पौधे घाटियां नदी इन सब की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि यही हमारे जीवन के आधारभूत तत्व हैं इन्हीं से हमारा जीवन धरा पर बना हुआ है ।

किंतु फ्लैट वाली दुनिया में लोग बसने के लिए इतना ललाइत है की पेड़ पौधे के नीचे बैठना झोपड़ी लगाकर वहां रहना या खेत खलियान में जाना आना बिल्कुल अच्छा महसूस नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां पर गंदा है बीमारी है या बीमारी हो सकती है लेकिन देखा जाए तो फ्लैट की दुनिया एक डिब्बे की समान है जिसमें दो चार कमरे होते हैं एक दो खिड़कियां होती हैं और आप उसमें कैद रहते हैं आप के बगल का पड़ोसी कौन है कहां का है कैसे रहता है क्या करता है किसी से कोइ मतलब नहीं है आप प्रकृति से कटने के साथ-साथ सामाज से भी दूरी बनाते जा रहे हैं जबकि बहुत बड़े विद्वान अरस्तु जी ने कहा था कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है किंतु आधुनिकता के दौर में लोग भटक गए हैं भूल गए हैं कि हम क्या हैं बस सबकी इच्छाएं हैं अधिक से अधिक सुविधाओं का उपयोग, उपभोग करने में लगे हुए हैं दुनिया भर की बीमारी आ रही है लोग उससे से ग्रसित भी हो रहे हैं लेकिन कभी इस पर विचार नहीं करेंगे कि हमारे बाप दादा भी रहा करते थे उन सब को तो ऐसी बीमारियां नहीं आती थी आखिर हम लोग ऐसा क्या कर रहे हैं कि हम लोगों के पास ऐसी बीमारियां आ रही है या ऐसा क्या खा रहे हैं इस पर विचार ही नहीं कर रहे हैं बस सुविधा सुविधा सुविधा आज का भोजन पैकेट वाली व्यवस्था है 10 दिन से पैक है 4 दिन से फ्रिज में रखा हुआ है और उसको खा रहे हैं और नाम भी उसकी अलग अलग है काफी शौकीन नाम है लोग नाम पर मर मिट रहे हैं खाकर बीमारी बढ़ा रहे हैं हम सब को चाहिए कि पेड़ पौधे लगाएं ।

फलदार पौधे लगाएं और अधिक से अधिक फलों का अपने भोजन में प्रयोग करें मौसमी फल अधिक से अधिक खाएं किंतु आज बाजार में बिना मौसम के सारे फल उपलब्ध हैं और लोग बिना मौसम के उस फल को ज्यादा खाना पसंद करते हैं उन्हें लगता है कि यह फल वही खा पाएंगे जो पैसे वाले हैं अरे मूर्ख उसमें कुछ भी स्वाद नहीं होता है मौसमी फल खाओ और उसका स्वाद देखो पेड़ से पके आम का स्वाद लो और फ्रिज में 10 दिन रखें कोल्ड ड्रिंक के स्वाद में काफी अंतर रहेगा ।

 बात कर रहा था पर्यावरण का तो हमें लगता है कि आप सबको बहुत कुछ खास बताने की जरूरत नहीं है आप सब बुद्धिजीवी हैं पढ़ लिख रहे हैं समझदार हैं समझें और उस को अपने जीवन में आत्मसात करें अपनाएं उस पर अमल करें सिर्फ ।

हमें अपने दैनिक जीवन को सुव्यवस्थित रखना चाहिए लेकिन आप सब यह महसूस कर रहे होंगे 21 वीं शताब्दी टेक्नोलॉजी का युग है और परिवार के हर सदस्य के पास मोबाइल फोन है और देर रात तक मोबाइल पर बिजी हैं चैट पर व्यस्त हैं बातें कर रहे हैं और सुबह 10:00 से 11:12 बजे सो कर उठ रहे हैं यही सब कारण है की बीमारियां इतना जोरों से पनफ रही है और हम उसके शिकार हो रहे हैं हम सब को चाहिए कि अपने दैनिक जीवन को व्यवस्थित रखें सुबह उठे प्राकृतिक वातावरण में थोड़ा टहले कुछ नाश्ता करें फिर अपने काम में लग जाएं ।

पर्यावरण का महत्व

पर्यावरण हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है इसे समझने के लिए हमें प्रकृति के बीच में जाना चाहिए और विचार करना चाहिए कि क्या हम एक पल भी बिना ऑक्सीजन के रह सकते हैं और यह ऑक्सीजन कहां से आती है क्या हम जल के बिना रह सकते हैं यह जल कैसे और कहां से आती है क्या हम सूर्य के रोशनी के बिना रह सकते हैं इन सब सवालों को समझने के लिए हमें विचार करना चाहिए और उसकी महत्ता को समझना चाहिए पर्यावरण के जितने अंग हैं यह सब मिलकर हमारे जीवन का संचालन करते हैं ।

आज मनुष्य अपनी सुविधा के लिए पर्यावरण को लगातार क्षति पहुंचा रहा है और जिसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है बच्चा पैदा हुआ नहीं कि बीमारी चालू जब तक जीवित है एक से बढ़कर एक बीमारियां आएंगी और वह उसका सामना करता है ।

विकास के नाम पर हम सब विभिन्न प्रकार की दवाइयां बना रखे हैं फलों में सब्जियों में छिड़काव करते हैं जिससे कि फल जल्दी बड़ा हो जाए जल्दी तैयार हो जाए तो तैयार तो हो जाता है लेकिन उसमें पौष्टिक चीज नहीं रहता है ।

वह फल एक बीमारी का घर होता है वह सब्जी एक बीमारी का घर होता है और लोग उसको खाते हैं हम सबका एक प्रयास होना चाहिए अपने घर में अपने द्वार पर या कहीं भी जहां थोड़ा जगह मिले आपको कुछ हरे फल सब्जीया भी लगाना चाहिए

बिना दवा के छिड़काव के उस फल सब्जी को उगाएं और उसको खाएं दवा के छिड़काव से जितने भी फल सब्जी बाजार में बिक रहे हैं उसे हम फल या सब्जी नहीं कह सकते वह तो एक प्रकार का बीमारी का घर है और उसे हमलोग सपरिवार बड़े ही चाव से खाते हैं और कुछ ही दिनों बाद हॉस्पिटलों अस्पतालों में शिफ्ट होना पड़ता है भागदौड़ की जिंदगी को थोड़ा धीमा करें थोड़ा पैदल चलें और कुछ योगासन करें तब जाकर हम बीमारियों से मुक्त हो सकते हैं रही बात पर्यावरण की तो पर्यावरण जैसे जल का संरक्षण बहुत ही आवश्यक है आज वर्तमान समय में ही शुद्ध जल पीने की संकट आ गई है सबको शुद्ध जल नसीब नहीं है क्योंकि विभिन्न प्रकार की फैक्ट्रियां लगी हुई हैं और सारे गंदी चीज नदियों नालों में बहाए जा रहे हैं वही गंदा जल जमीन के अंदर जा रहा है और वही जल में मिल जा रहा है यही कारण है की जल अशुद्ध होता जा रहा है

हम सब के पूर्वज कितने रिस्ट पोस्ट रहा करते थे उसका कारण यही था कि वे अपने चारों तरफ पर्यावरण को महत्व देते थे उसका अपने जीवन में स्थान समझते थे और उसके बिना अपना जीवन अधूरा समझते थे उन्हें उसी प्राकृतिक वातावरण में सुकून मिलता था तब जाकर वे तंदुरुस्त और स्वस्थ जीवन , रोग मुक्त रहते थे लेकिन आज की हमारी वर्तमान पीढ़ी या हम सभी प्राकृतिक वातावरण में तो जैसे लगता है कि बड़ी बेचैनी होती है कि यार कहां आ गए और वही एसी में बैठा दिया जाए

तो बड़ा सुकून मिलता है और उसी के साथ यदि लैपटॉप या मोबाइल दे दिया जाए या सामने टीवी लग जाए तो वह लगेगा कि स्वर्ग में पहुंच गए हैं लेकिन वह क्षणिक सुख है कुछ समय के लिए वह आपको आराम देगी लेकिन उसी आराम के साथ-साथ आपको बीमारियां भी देगी दूसरी तरफ यदि आप प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं तो आप रोग मुक्त रहेंगे स्वस्थ रहेंगे आजीवन निरोग रहेंगे पर्यावरण कितना महत्वपूर्ण है हम सबके लिए यह तब समझ में आती थी जब अकाल पढ़ता था

कोई महामारी आती थी, बारिश नहीं होती थी अब बारिश नहीं होने का कारण या कम होने का कारण क्या है कि हम सब जंगलों का अधिक से अधिक सफाया कर रहे हैं और उन पर मिल फैक्ट्री या खोल रहे हैं जिससे कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड भी फैल रही है

फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे से जल भी दूषित हो रहा है हालांकि रोजगार तो लोगों को मिलता है

लेकिन उससे ज्यादा नुकसान होता

हमें अपने पर्यावरण को महत्व देना चाहिए उसको संरक्षित बनाए रखने के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए क्योंकि जब तक धरा पर पर्यावरण सुरक्षित है तभी तक हम सब सुरक्षित हैं पर्यावरण हमारे जीवन का एक आधारभूत तत्व है जिसके बिना हम सबका एक पल भी जीना मुश्किल हो जाएगा

निष्कर्ष

इस प्रकार देखा जाए तो हमारा बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व पर बहुत ही

पर विचार करने की बहुत जरूरत है सिर्फ विचार ही नहीं बल्कि उस पर ठोस कदम उठाने की भी जरूरत है इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपने घर परिवार के लिए भी समय नहीं है इन व्यस्तता के चलते आदमी अपने आप में खोया हुआ रहता है किंतु उस चेतना को जगाने की जरूरत है हम सबको जागृत होने की जरूरत है और मिलजुल कर अपने पर्यावरण एवं अपने परिवेश को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने कीज्ञजरूरत है

हमारा कर्तव्य होना चाहिए जितना भी हम प्रकृति का दोहन करते हैं उसके साथ साथ हमारा कर्तव्य भी बनता है कि हम उसको उसी रूप में बनाए रखें और कम से कम प्राकृतिक दोहन करें जितनी आवश्यकता हो उतना ही उपयोग करें उसके साथ साथ उसमें उतना ही योगदान भी करें आज शहर से लेकर गांव तक विभिन्न प्रकार के नए-नए रस्मो रिवाज प्रारंभ हो गए हैं मेरा मानना है कि उस नए रस्मो रिवाज पर जैसे जन्मदिन पर एक पेड़ लगाएं शादी के सालगिरह पर जितने बच्चे उतने पेड़ लगाएं आदि ऐसे कार्य करके हम पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं मकान का उतना ही निर्माण करें जितनी आवश्यकता हो आवश्यकता से अधिक ना बनाएं थोड़ा-थोड़ा हम अपने भौतिक उपभोगों को कम करके हम सब पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं अंततः हम धरा पर उपस्थित सभी मानव समुदायों को यहीं कहना चाहूंगा कि हम सब प्रकृति से उत्पन्न हैं और एक दिन इसी में विलीन हो जाना है इस को ध्यान में रखते हुए हम सबको प्रकृति से जुड़े रहना चाहिए प्रकृति से प्रेम करना चाहिए उससे दूरियां नहीं बल्कि नज़दीकियां बनाना चाहिए भौतिक सुविधाएं जैसे एसी कूलर पंखा आदि का कम से कम प्रयोग कर ,खुले वातावरण में बैठना चाहिए नदियों तालाबों में कम से कम कचरा फेंकना चाहिए

बरसात के जल को संरक्षित करने का प्रयास करें जिससे धरती से जलस्तर ऊपर आ सके आज ऐसा हालात हो गया है कि लोग चार सौ, पांच सौ फीट बोरिंग कराते हैं उसके बाद जल मिलता है यही कारण है कि हम जल का संरक्षण नहीं कर रहे हैं यदि जल का संरक्षण करते तो जरूर हम सबको 30 से 40 फीट बोरिंग के बाद या 50 फीट नीचे जल मिल ही जाता

रह गई बात जंगलों और पहाड़ों की तो इन सब पर सरकार को शख्स एवं ठोस निर्णय लेना चाहिए कि जंगल कटाई कम हो पहाड़ों में पत्थरों का कारोबार न किया जाए आवश्यकता अनुसार प्रयोग करें धरा पर उपस्थित प्रत्येक मनुष्य का एक अनिवार्य कर्तव्य होना चाहिए की वह प्रकृति का संरक्षण करें उसको नुकसान ना पहुंचाए

आज हमने बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व पर अपने विचार रखे और आप सब इनमें से कुछ, जो आप कर सकें करें तो सिर्फ आपको ही नहीं पूरे मानव समुदाय को इसका लाभ मिलेगा मेरा भी यही प्रयास रहता है कि लोग पढ़ लिख तो रहे हैं जागरूक भी हैं लेकिन सिर्फ जहां उनको लाभ है उसी जगह वह पढ़े लिखे हैं उसी जगह जागरूक हैं उसी जगह उनका दिमाग काम करता है किंतु भविष्य में क्या खतरा है या क्या खतरा आ सकती है आज जो हम कर रहे हैं इस काम का परिणाम क्या हो सकता है इस पर ध्यान नहीं देते इस पर दिमाग नहीं लगाते इस पर जागरूक नहीं होते हम सबको इस पर भी जागरूक होने की जरूरत है और सजग रहने की जरूरत है कि भविष्य में किसी प्राकृतिक आपदा से हम सब को न जूझना पड़े पहले से ही ऐसे काम करें जिससे हम सब सुरक्षित व्यवस्थित और सुखी रहें आपने इतना देर तक इसे पढ़ा समझा मैं आपका आभारी हूं कि आपने इतनी व्यस्ततम जीवन से कुछ समय निकाला,

तो जो आपने पढ़ा उसे अपने बच्चों को भी बताएं उन्हें भी जागरूक करें स्वयं भी जागरूक होएं और अपने जिंदगी में एक बदलाव लाएं भौतिकता वादी दुनिया से बाहर निकले प्रकृति से जुड़े जीवन बहुत ही सुख में रहेगा उदाहरण आप ही के बापदादा हैं आप उनसे सीखे उनसे समझे उनसे बातें करें उनका अनुभव ले इसी के साथ साथ मैं आप सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करना चाहूंगा इतना देर तक आपने इसे पढ़ा सुना समझा

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद

कवि सी.पी. गौतम
वाराणसी
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