Desh ka durbhagya by Jitendra Kabir
देश का दुर्भाग्य
कृषि के लिए नीतियां बनाने में
कृषक का प्रतिनिधित्व नहीं,
शिक्षा के लिए नीतियां बनाने में
शिक्षक का प्रतिनिधित्व नहीं,
सेना के लिए नीतियां बनाने में
सैनिक का प्रतिनिधित्व नहीं,
उद्योगों के लिए नीतियां बनाने में
कामगार का प्रतिनिधित्व नहीं,
गरीबी दूर करने की नीतियां बनाने में
गरीबों का प्रतिनिधित्व नहीं,
प्रतिनिधित्व दिया भी गया अगर तो
भीड़ उसमें चाटूकारों की ही रही,
नीतियों को लिखित रूप देने वालों को
धरातल पर समस्याओं की जानकारी नहीं,
नीतियों को वैधानिक रूप देने वालों को
वोट बैंक के अलावा और कुछ पड़ी नहीं,
इसलिए इन नीतियों की सफलता का प्रतिशत
उम्मीदों के मुताबिक बिल्कुल नहीं।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314