Harj kya hai by Jitendra Kabir
September 22, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
हर्ज क्या है?
भाषण से पेट भरने की
कला सीख ली है हमनें,
रोटी को गाली देनें की
हिमाकत करने में
अब बताओ हर्ज क्या है?
प्रचार से विकास करने की
कला सीख ली है हमनें,
बेरोजगारी और भुखमरी को
नजर अंदाज करने में
अब बताओ हर्ज क्या है?
धर्म,जाति व पैसे के समीकरण
बिठाकर वोट लेने की
कला सीख ली है हमनें,
राजनीति के सच्चे आदर्शों को
दरकिनार करने में
अब बताओ हर्ज क्या है?
दो-चार घड़ियाली आंसू बहाकर
सहानुभूति बटोरने की
कला सीख ली है हमनें,
जनहित के कार्यों का
सिर्फ दिखावा करने में
अब बताओ हर्ज क्या है?
दूसरों की सारी गलतियां गिनाकर
खुद महान कहलाने की
कला सीख ली है हमनें,
अपनी गलत निर्णयों का प्रचार
उपलब्धियां बताकर करने में
अब बताओ हर्ज क्या है?
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति-अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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