Maa mujhe na mar by mainudeen kohri

September 30, 2021 ・0 comments

 माँ मुझे ना मार

Maa mujhe na mar by  mainudeen kohri



माँ, मैं भी कुल का मान बढाऊँगी ।

माँ ,मैं भी रिश्तों के बाग सजाऊंगी।।

माँ,मुझे कोख में हरगिज न मारना।

माँ, मैं भी तेरी परछाई बन जाऊँगी ।।


माँ, क्या मैं कोख में अपनी मर्जी से आई ।

तुमसे जुदा करने वालों से तो जरा पूछ ।।

घनघोर- घटा बिन, कब बिजली चमके।

माँ ,ये कोख से जुदा करने वालों से पूछ।।


माँ, मैं जब तेरी कोख में समायी ।

क्या दोष है मेरा, ये तो बता माँ।।

सूरज निकले बिन कब होता है सवेरा।

रात होने पर ही अंधेरा होता है , माँ।।


माँ, मेरी किस्मत तो मैं साथ लेकर आई।

मैं जग में तेरी परछाई बन जी लुंगी ।।

ना करना, कभी मुझे तूँ मारने का पाप।

आने दे मुझे जग में ,तेरा दूध ना लजाउंगी।।


बेटे - बेटी में ना करो तुम अब अन्तर ।

भैया के राखी मैं ही आकर बांधूंगी ।।

माँ ,ये बात दादा - दादी को तुम बतलाना ।

माँ , मैं राष्ट्र - समाज को दिशा दिखाउंगी ।।

👍👍👍

मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी "

मो -9680868028

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