Mamta laghukatha by Anita Sharma

 ममता

Mamta laghukatha by Anita Sharma


सविता का विवाह मात्र तेरह वर्ष की अल्प आयु में हो गया था।वो एक मालगुजार परिवार की लाडली सबसे बड़ी बेटी थी जो लाड प्यार में पली बढ़ी थी ।अचानक एक नया माहौल में ब्याही ।खैर स्वभावतः शान्त कम बोलने वाली थी,पर गजब की कर्मठ और धैर्यवान।विवाह के छः वर्ष बात उसकी गोद में नन्हीं सी परी आ गई जो गुड़िया/सोना प्यार से बुलाते।समय के साथ दिन गुजरे और तीन सुन्दर सी बेटियों की माँ और दो बेटों की माँ बनी।समय पंख फैलाकर उड़ता गया।सभी पढ़ लिख कर बड़े हुए और समय के साथ विवाह उपरांत अपने अपने परिवार में मस्त हो गये।

समय ने करवट बदली और सविता की छोटी बेटी को कैन्सर हो गया सब सदमें में डर डर कर जीने लगे ।खैर दिन बीते और नौ साल बाद छोटे दामाद को ब्लड कैंसर से मृत्यु होने के बाद अंदर तक टूट गयी पर उसने अपना दुख पी लिया।पति एकाएक कमजोर हो गये पर उनकी सेवा और देखभाल में कोई कमी नहीं आने दी पर विधाता को कुछ और ही मंजूर था दामाद के नौ महीने में पति भी चल बसे सविता भीतर ही भीतर टूट गयी बीमारी से लड़ रही बेटी के लिए प्रार्थना करती पर.....वो भी नौ महीने में चल बसी।सविता चुप चाप रहने लगी।सविता को छोटे बेटे से बहुत मोह था शायद आर्थिक रूप से कमजोर होना शायद वजह रही हो,उसने पैन्शन से उसके परिवार की हर जरूरत पूरी की पर. ..  एक सुबह उसे सीने में दर्द उठा और इत्तिफाक छोटा बेटा वहीं उसी के पास था उसे दर्द का पता चल गया वह दवा लेने गया पर सभी दुकानें बंद।शायद सीधे अस्पताल ले गया होगा तो सविता जिन्दा होती।जबकि चंद कदमों की दूरी पर था हार्ट का हास्पिटल ।एक मूर्खता कही जाये या अकर्मण्यता उस दर्द में सविता को अकेला छोड़कर गया कैसे?परिवार के और लोग भी थे उनको आवाज़ दे सकता था?बहरहाल सविता की छोटी बहिन जो उसकी देवरानी थी ,अचानक आई और अपनी दोनो बहुओ बेटों के साथ अस्पताल ले गयी पर तब तक देर हो चुकी थी सविता बहन की बहु के हाथों में दम तोड़ चुकी थी 

     क्या सविता के छोटे बेटे को अपनी माँ को दर्द में अकेले छोड़कर जाना उचित था??

   -----अनिता शर्मा झाँसी

----मौलिक रचना

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