Shan a hind by jayshree birmi
September 15, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
शान–ए– हिंद
आन भी हैं तू मान भी हैं तू
हिंदी तू हिंदुस्तान की जान हैं तू
तेरी मीठे शब्दों से कान में घुले हैं रस
तेरी ही बानी बोलते हैं सब
तेरी ही अगुआई में बोलियां हैं कई
तू ही बनी हैं उद्भवन कई भाषाओं की
संस्कृत और अर्धमाग्धी के चरणों में भी तू
उर्दू के जहनी शब्दो को तूने सहलाया हैं
तेरी विलक्षण काया को कईं
भाषा के शब्दों ने सजाया हैं
तेरे महत्व को सबने समझा अब
सभी भारतवासियों ने
तू हैं दिल के लब्ज़ तू ही है आवाज
तेरे होने से बनी रही हैं इस देश की लाज
कहीं भी रहे हम तुमको भूल न पाएंगे
जो भूले उन्होंने क्या खोई नहीं अपनी पहचान
तू हिंदुस्तान की हैं हिंदी
तू है हमारी ही प्रार्थना और तू ही अजान
रहें तेरी ही संगत में चाहे हो कोई भी देश
प्रदेशों में भी तू ही हैं संग हमारे
मेरी हिंदी ,मेरी हिंदी तू ही हैं महान,तूही हैं आनबान
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद
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