Shan a hind by jayshree birmi

 शान–ए– हिंद

Shan a hind by jayshree birmi


आन भी हैं तू मान भी हैं तू

हिंदी तू हिंदुस्तान की जान हैं तू

तेरी मीठे शब्दों से कान में घुले हैं रस

तेरी ही बानी बोलते हैं सब

तेरी ही अगुआई में बोलियां हैं कई

तू ही बनी हैं उद्भवन कई भाषाओं की

संस्कृत और अर्धमाग्धी के चरणों में भी तू

उर्दू के जहनी शब्दो को तूने सहलाया हैं

तेरी विलक्षण काया को कईं 

भाषा के शब्दों ने सजाया हैं

तेरे  महत्व को सबने समझा अब

सभी भारतवासियों ने

तू हैं दिल के लब्ज़ तू ही है आवाज

तेरे होने से बनी रही हैं इस देश की लाज

कहीं भी रहे हम तुमको भूल न पाएंगे

जो भूले उन्होंने क्या खोई नहीं अपनी पहचान

तू हिंदुस्तान की हैं हिंदी

तू है हमारी ही प्रार्थना और तू ही अजान

रहें तेरी ही संगत में चाहे हो कोई भी देश

प्रदेशों में भी तू ही हैं संग हमारे

मेरी हिंदी ,मेरी हिंदी तू ही हैं महान,तूही हैं आनबान


जयश्री बिरमी

अहमदाबाद

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url