Achhi soch aur paropkar by Anita Sharma

October 23, 2021 ・0 comments

 "अच्छी सोच और परोपकार"

Achhi soch aur propkar by Anita Sharma


आभा श्रीवास्तव इन्दौर में अपनी बेटी सृष्टि के साथ किराये के मकान में रहती है।बेटी सृष्टि आई ए एस की कोचिंग कर रही है।मकान मालिक मिस्टर मोदी हैं,जो वृद्ध दम्पति है उनके बच्चे बाहर सपरिवार रहते हैं और मोदी अंकल-आन्टी नीचे माले में रहते हैं और आभा बिटिया के साथ ऊपर।

     भले लोग हैं आते जाते उनसे बातचीत हो जाती है।आपस में अच्छा तारतम्य रहने के कारण दोनो परिवार की तरह हैं।

    अचानक एक अनजान बीमारी ने दस्तक दी और कोविड से भारत और विश्व में हलचल मचा कर रख दी।अचानक सम्पूर्ण भारत बंद से जिन्दगी ठहर गयी।जरूरत का सामान को भी लोग तरस गये।एक अजीब सन्नाटा पसरा गली मोहल्ले में।डर के साथ बेचैनी।

    बात 20अप्रैल 2019 की है।आभा अपने घर का काम निपटाने में व्यस्त थी कि अचानक मोदी अंकल का फोन मोबाइल पर आया.....

बहुत घबराहट भरी आवाज़ में बोले आभा जी.....आप...आप तुरन्त नीचे आइये आपकी आन्टी बेहोश हो गई।आभा तुरन्त सब काम वैसे ही छोड़कर बेटी सृष्टि के साथ नीचे पहुँची....अंकल ....क्या हुआ?

और नजर आन्टी पर पड़ते ही दौड़ पड़ी उनके पास।उन्हें अस्थमा और भी कयी बीमारी थी ।बहुत अधिक मोटापे के कारण घुटनों से भी परेशान थी।बहरहाल आभा ने अंकल को कहा फौरन अस्पताल ले जाना होगा।पर कैसे?लाकडाऊन है।

आभा ने पुलिस का नम्बर डायल किया और समय की नाजुकता बताते हुए सीधे सहायता मांगी।

     कुछ ही देर में एम्बुलेंस आ गयी सारे मैडीकल फाइल लेकर अंकल को जाने को कहा पर......आभा बेटा तुम ही चली जाओ कहकर उनने अस्पताल जाने से असमर्थता जताई।किम्कर्तव्यविमूढ आभा बेटी की ओर देखकर बोली बेटा अपना थ्यान रखना मैं आती हूँ और वो एम्बुलेंस में बैठकर चली गई।कोविड के टेस्ट के बाद मोदी आन्टी की तमाम जाँचे और ट्रीटमेन्ट शुरू हुआ।अस्थमा के कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही थी तो ऑक्सीजन पर रखा।

हालात में कुछ सुधार आया और आभा की जान में जान आई।चार छः घंटों के बाद स्थिति सामान्य हुई तब डाक्टरो से समझकर उन्हें लेकर घर आई।

     जब तक ठीक होकर रसोई संभालने लायक नहीं हुई तब तक आभा ने उनके चाय नाश्ते खाना पीने का ध्यान रखा।

मोदी अंकल के रिश्तेदार इन्दौर में ही रहते थे पर जरूरत के समय कोई न आया।हाँ इस बीच मोदी अंकल ने बच्चों को फोन पर पूरी जानकारी दे दी थी तो उन्होंने आभा को बहुत बहुत धन्यवाद दिया।

आभा अकेले में याद करती है कि इतनी शक्ति उसके अंदर कहाँ से आ गयी?कोविड की भी परवाह नहीं की?

"जहाँ चाह वहाँ राह"मिल ही जाती है,आभा की चाह आन्टी ठीक हो जाये और कड़ी मेहनत रंग लाई।

   कम ही लोग होते हैं संसार में जो दूसरों के लिए जीते हैं।

-----अनिता शर्मा झाँसी
------मौलिक रचना

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