Gandhi ek soch by mahesh ojha
गांधी : एक सोच
अटल विश्वास शान्ति प्रेम क्षमा और सत्य के मूरत,
कहा सुभाष ने बापू जिन्हें अपने सम्बोधन में।
बने थे संत जो जग में बिना जपकर कोई माला,
चलो सन्मार्ग पर चलते हैं उनके पथ प्रदर्शन में॥
अहिंसा धर्म था उनका इबादत सत्य का करते,
अद्यतन हर विषय पर और नियंत्रण खुद पे थे करते।
सामंजस्य सोच कथनी और करनी से थे होते खुश,
क्षमा है गुण शक्तिमान का कमजोर हैं लड़ते॥
कहें बापू बने है धारणा से कोई भी विचार,
विचारों से बने हैं शब्द, शब्दों से बने हैं चाल।
बने हैं चाल से स्वभाव, स्वभावों से बढ़े हैं मान,
है मिलती मान से प्रारब्ध जीवन को करे साकार॥
है जीवन का यही महत्व करता जा तू कुछ प्यारे,
नहीं है ग़ैर जग में कोई सहोदर भाई हैं सारे।
बंटे ना भेष भाषा रंग देश जाति में मज़हब,
चलो ऐलान करो रहेंगे और थे एक हैं सारे