Toote riste by Dr. Hare krishna Mishra
टूटे रिश्ते
चलो एक बार मिलते हैं हम दोनों ,
पूर्व वत अपने गंतव्य पर चलकर ,
मिलनेऔर आने का यही संदेश तेरा,
अपना भी इरादा तो ऐसा ही बनता है। ।।
कहती हो सदा अपनी मेरा मन नहीं लगता,
चलना है तेरे संग संग घर अपना वही तो है,
बिताएंगे समय अपना थोड़ा मन बहल जाए,
मिलनेऔर बिछड़ने का भी अभ्यास बन जाए ।।
मिले थे हम अभी दोनों सपनों को सजोने में ,
जुदाई भी लिखा था जो नियति के बाहों में ,
चलो इतना अच्छा है दिया संयोग जो उसने,
कभी गम तो खुशियां भी इच्छा तो उसी की है ।।
मर्यादा भी अपनी है बंधन भी तुम्हारा है,
आजीवन बंधें तेरे प्रणय की ही डोरी में ,
धड़कन भी बताती है गति तेरी मेरी अपनी,,
तेरे सांसों की डोरी से हीं है जिंदगी अपनी ।।
दुनिया तो नहीं छोटी सीमा इसकी अपनी है,
भटकना और भूलना क्या धरती तो हमारी है,
इसी मिट्टी में आए हैं इसी में तो जाना है ,
दिखावा जिंदगी का झूठा एक बहाना है ।।
सांसो से सांसों की मिलन यहीं तो टूटी है,
विधाता ने खींची है हमारी सांस की डोरी ,
किया होगा जो निर्णय सोचा तो वही होगा ,
संतुष्टि तो अपनी है यही गीता का दर्शन है ।।
चल धरा को छोड़कर पर लोक की यात्रा करें,
अब हमारा है यहां क्या साथ हम भी बढ़ चलें,
धरा धाम की यात्रा हमारी हो गई है आज पुरी,
बुला रहा है आत्मा को परमात्मा संकेत देकर ।।
चल यहां से गंतव्य अपना पर धरा पर दूर जाना,
आश में बैठी हुई जो हर पल प्रतीक्षा कर रही ,
रुक गया था मैं यहां पर दौड़ संग संग चल न पाया,
क्या कहूं अफसोस इसका दूर तुम से रह गया हूं। ।।ं
हाय रे नैराश्य जीवन न पा सका गंतव्य अब तक ,
चल करूं आराधना मैं ब्रह्मलीन अब तो हो गई है,
पुण्य पथ पर बढ़ गई तुम मैं यहां रह गया अकेला ,
अंधकारमय जीवन यहां है प्रकाश हमसे दूर है ।।
लिखे हैं गीत जो मैंने व्यथा तुझसे छुपाना क्या,
यही है जिंदगी मेरी दर्द-ए-दिल कहानी की ,
गई है छोड़ जब से तुम जमाने से जुदा मैं हूं,
गीतों और गजलों में जुड़ी है जिंदगी मेंरी ।।
सदा होती तेरी चर्चा निरुत्तर मैं सदा होता,
कहूंगा क्या मैं जमाने से मजबूरी यही मेरी ,
कितना दूर अपनों से, गम से बन गया नाता ,
रिश्ते को निभाना क्या रिश्ता टूट गया मेरा ।।
मौलिक रचना