Udan by Anita Sharma

 "उड़ान"

Udan by Anita Sharma


मेरे घर घोंसला बनाकर,

पंछी का जोड़ा आया रहने।

रोज उसे तिनका-तिनका,

लाते देखा करती अक्सर।


आज अचानक आवाज़ सुनी,

देखा अपलक छोटे बच्चे को।

बारी-बारी दाना लाते चोंच से,

देखा चिड़िया-चिड़वे को हदप्रद।


खोल चोंच आवाज़ करते,

मानो बेसब्री से राह देखते।

चीची की आवाज़ निकालते,

कितने चंचल मासूम बच्चे।


अरे पंखों से उड़ना सीखते,

सिखा रहे चिड़वा-चिड़वी ।

कुछेक दिनों में उड़ान भरी,

वीरान हो गया घोंसला-घर।


मन ने कहा चलो उड़ान भरो,

उन्नति के शिखर पर चढ़ना है।

शुभ चिन्ह है जहाँ चिड़िया नीड़,

बनाकर नवपरिवार बसाती है।


अब समय से पंखों को फैला,

ऊंची उड़ान का समय आया।

चाँद सितारे भर लूँ दामन में ,

आज तेरा उत्कर्ष समय आया।

---अनिता शर्मा झाँसी
-----मौलिक रचना

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