बंदर और इंसान-जितेंद्र कबीर
बंदर और इंसान
अपने आपको इंसान घोषित कर देंगे
इंसानों के ऊपर
इतिहास के साथ छेड़खानी का
आरोप लगाते हुए,
फिर वो खुद को
संसार में सबसे बलशाली, सबसे समझदार,
सबसे बड़े शूरवीर, महान अविष्कारक,
सबसे ईमानदार, महान राष्ट्रवादी,
इकलौते देशभक्त, सर्वोत्कृष्ट प्रशासक,
निष्पक्ष न्यायवादी, अध्यात्म के परम ज्ञाता,
विकास के देवता एवं साक्षात ईश्वर का
अवतार दर्शाने वाला
नया गौरवशाली इतिहास लिखवाएंगे,
उसमें शामिल नहीं होंगी
उनके अतीत की शर्मनाक गलतियां
एवं हारी गई लड़ाइयों के विवरण,
आत्मश्लाघा तब चरम पर होगी,
'भूतो न भविष्यति' की तर्ज पर होगा
उनके शासकों का प्रचार,
यह सब करके भ्रम हो जाएगा उन्हें
कि आने वाली पीढ़ियां
उस इतिहास को पढ़कर
उनकी महानता के गीत गाएंगी,
संसार की दसों दिशाओं में
उनकी कीर्ति की पताका लहराएगी,
लेकिन यह सिलसिला चला रहेगा
केवल तब तक ही
जब तक इंसानों को सही - गलत की
पहचान नहीं आएगी
और इंसानियत बंदरों की
सारी कारस्तानियों से वाकिफ हो
उन्हें उनकी सही जगह नहीं दिखाएगी।