Abki kranti gulabi ho jaye by Jitendra Kabir
November 07, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
अबकी क्रांति गुलाबी हो जाए
बंदिशें,धमकियां,फिकरे,फब्तियां,
सहती, सुनती रही हो सदियों से,
अबके कार्रवाई जवाबी हो जाए,
तोड़ दे घमंड अत्याचारी का
अबकी क्रांति 'गुलाबी' हो जाए।
दुराचार, हत्या,गुलामी, बदनामी,
तेरे हिस्से आई है सदियों से,
अबके पलटवार जवाबी हो जाए,
गला दे हड्डियों को हत्यारे की
अबकी क्रांति 'तेजाबी' हो जाए।
इंतजार ना कर किसी मसीहा का,
अपने आप में ही हिम्मत जगा,
अबके प्रहार जवाबी हो जाए,
गलत करने का सोचे भी न कोई
अबकी क्रांति 'इंकलाबी' हो जाए
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