Abki kranti gulabi ho jaye by Jitendra Kabir

November 07, 2021 ・0 comments

 अबकी क्रांति गुलाबी हो जाए

Abki kranti gulabi  ho jaye by Jitendra Kabir


बंदिशें,धमकियां,फिकरे,फब्तियां,

सहती, सुनती रही हो सदियों से,

अबके कार्रवाई जवाबी हो जाए,

तोड़ दे घमंड अत्याचारी का

अबकी क्रांति 'गुलाबी' हो जाए।


दुराचार, हत्या,गुलामी, बदनामी,

तेरे हिस्से आई है सदियों से,

अबके पलटवार जवाबी हो जाए,

गला दे हड्डियों को हत्यारे की

अबकी क्रांति 'तेजाबी' हो जाए।


इंतजार ना कर किसी मसीहा का,

अपने आप में ही हिम्मत जगा,

अबके प्रहार जवाबी हो जाए,

गलत करने का सोचे भी न कोई

अबकी क्रांति 'इंकलाबी' हो जाए 


 जितेन्द्र 'कबीर'
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति- अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314

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