Chand mera by Jayshree birmi
चांद मेरा
आज तुम चाहे मत निकलो चांद
परवा नहीं
चमकेगा टुकड़ा मेरे दिल का
तुम जलाना नहीं
निकला हैं आज बरसों के बाद
अब बदरी तू भी छाना नहीं
हैं किस्मत में मेरी ये ही रोशनी
अब उससे आगे मैंने भी कुछ मांगा नहीं
चांद को तो रात चाहिए चमक ने के लिए
मेरा चांद तो हर दिन हर रात हर पल के लिए हैं
ए चांद तेरी चांदनी की चमक पराई सी हैं
चांद मेरे की तो रोशनी सो फीसदी अपनी ही हैं
आज तो रात को न सोऊंगी न ही दिन भर चैन होगा
बस एक में और सामने मेरे दिल का टुकड़ा होगा
रब करे न बीते ये पल,दिन और रात
सुनती रहूं में मेरे दिलके टुकड़े की ही आवाज