छठपूजा
सूर्योपासना का
आस्था विश्वास संग
होता यह महापर्व
षष्टी तिथि का ये छठ पर्व
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में।
चार दिवसीय अद्भुत पर्व
नहाय खाय से शुरू हो
दिल में समर्पण भाव लिए
छठी मैय्या से गुहार करे
सारे व्रती, परिजन संग।
प्रथम दिवस होता है
घर की साफ सफाई संग
शुरू होता व्रती का दिन
कद्दू की सब्जी का महत्व
बहुत होता इस दिन।
अगले दिन खरना है खास
व्रती का होता पूर्ण उपवास
श्रद्धा भाव से प्रसाद बनाती
सूर्यदेव को समर्पित कर
एकांतवास है करती,
अगला दिन होता सबसे खास
नदियों, पोखरों के जल में खड़ी हो
संध्या को अर्ध्य देती
अपने स्थान पर ही खड़ी हो
सूर्यदेव की परिक्रमा करती
शीश झुकाती नमन वंदन करती।
अंतिम दिन सूर्योपासना का
उदित भाष्कर को अर्ध्य दे
व्रत का समापन करती,
छठी मैय्या के गीत गाती
बंधु बाँधवों संग सपरिवार
खुशहाली की गुहार लगाती
छठी मैय्या की महिमा बखानती।
श्रद्धा समर्पण विश्वास से
जो भी करे छठी माँ का व्रत
नियम धरम से माँ की महिमा बखाने,
छठी मैय्या उसके सारे कष्ट हरती
उसका सर्वकल्याण करती।
छठी मैय्या की महिमा बड़ी निराली
उसकी पूजा आराधना से किसी की
झोली किसी की रहे न खाली,
छठी मैय्या बड़ी भोली है,
अपने भक्तों पर सदा ही
कृपा बरसाती रहती है
अपने संरक्षण में हमेशा रखती है,
तभी तो छठी मैय्या की
चहुंओर होती जय जयकार है।
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