Chunav ka mausam by Anita Sharma

 चुनाव का मौसम

Chunav ka mausam by Anita Sharma


लो चुनाव का समय आया

छीटा कशी व्यंग्य का दौर।

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सबको अपनी कुर्सी का मोह

चुनाव प्रचार के नये नये तरीके।

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प्रलोभनो के आकर्षक रूप

सज रहा तम्बू सज रही गाड़ी।

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होंगें सवार, पावर का है कमाल

जनता को गुमराह करेगें।

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चिकनी चुपड़ी बातों में लपेटकर

जनता की आंखो में धूल झोंकेगे।

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वादों की लड़लड़ी लगाकर

जनता को डुबकी अब देगें।

*

देखो आया चुनावों का दौर

नेताओं की बातों का दौर।

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कितने वादे,कितने नारे

सबकी सब है खोखले पिटारे।

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प्रचार-प्रसार के रंग निराले

टीवी चैनलों पर धूम मचाते।

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सबकी की बखिया खूब उधेड़ते

हरेक पार्टी दूसरे पर कीचड़ उछालती।

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नेताओं की सभाओं का दौर

गरीब जनता की फिक्र का दौर।

*

सब पार्टी के लोलुप हैं

धन-जन-उपहारों का वादा ।

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एक दूसरे की पोल खोलते

कितना भाषणबाजी करते।

*

काश जनता को ये समझते?

अब जागरूक है जनता ।

----अनिता शर्मा झाँसी
-----मौलिक रचना

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