कोविड-19 से हुई क्षति की रिकवरी -किशन भावनानी गोंदिया

 कोविड-19 से हुई क्षति की रिकवरी व समाज की बेहतरी के लिए ज्ञान, धन और आर्थिक संपदा अर्जित करने हेतु नए विचारों और नवाचारों के साथ आगे आना ज़रूरी 

कोविड-19 से हुई क्षति की रिकवरी -किशन भावनानी गोंदियापरिस्थितियों के अनुसार सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन समय की मांग- अपने विचारों अनुभव और नवाचारों को साझा करना सदियों पुरानीं भारतीय परंपरा - एड किशन भावनानी गोंदिया - 

वैश्विक रूप से सृष्टि में विचिरित योनियों में सबसे बुद्धिमान मानव योनि ने पिछले डेढ़ साल से कोविड के कारण जो स्थिति भुक्ती और मानसिक त्रासदी झेली उसकी क्षतिपूर्ति शायद नहीं की जा सकती, परंतु मानवीय जीवन चक्र चलाने के साथ-साथ समाज की बेहतरी और संपन्नता के लिए काफी रिकवरी की कोशिश की जा सकती है। साथियों हमारे वैश्विक स्तर पर परिवारों ने जो अपनों को खोया उन्हें लौटाया नहीं जा सकता, परंतु अपनी और आने वाली पीढ़ियों का जीवन चक्र सुदृढ़ करने, परिस्थितियों के अनुसार सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन करना समय की मांग है। साथियों बात अगर हम भारत की करें तो भारतीय समाज की बेहतरी और रिकवरी के लिए ज्ञान, धन और आर्थिक संपदा अर्जित करने के लिए हमें अपने विचारों में परिवर्तन लाना होगा और नवाचारों के साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए लाइफ साइकिल में कुछ अल्टरनेट करने होंगे, ताकि अतितीव्रता के साथ हम अपने जीवन, समाज और देश को अपने पुराने आयामों से भी बढ़कर नए आधुनिक आयामों तक पहुंचाने में जांबाज़ी और ज़ज़बे के साथ अपना योगदान पूर्वक सहयोग प्रदान करें। साथियों सबसे पहले तो हर नागरिक को वैक्सीनेशन के दोनों डोज़ लगवा कर अपना अमूल्य योगदान देना होगा, ताकि नवाचार और नए विचारों को क्रियान्वयन करने में एक विश्वास के भाव उमड़े। क्योंकि यदि एक ओर क्षति की रिकवरी के लिए काम होंगे, दूसरी ओर वैक्सीनेशन न लगवा कर उस रिकवरी में गैप बनाने का काम हो सकता है इसलिए इस कड़ी को पकड़कर उसका सफाया करना होगा और फिर लक्ष्य के साथ हम आगे बढ़ सकते हैं। साथियों बात अगर हम नवाचार, प्रौद्योगिकी, नए विचारों से ज्ञान, धन और आर्थिक संपदा अर्जित करने की करें तो नागरिकों, वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और उद्यमियों को एक पटल पर आकर आपसी तालमेल बनाकर क्रियान्वयन करने की ज़रूरत है। क्योंकि यह हमारे भारत की सदियों पुरानी परंपरा रही है कि अपने विचारों, अनुभवों नवाचारों को साझा कर एक दूसरे का ध्यान रखें जिसके बल पर हमारी सफलताओं की संभावनाएं बढ़ जाती है। साथियों बात अगर हम माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा दिनांक 17 नवंबर 2021 को एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो उन्होंने भी कहा, साझा करने और एक-दूसरे का ध्यान रखने ('शेयर एंड केयर') के सदियों पुराने भारतीय दर्शन को दोहराते हुए, उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाले मानवता और दुनिया के बड़े अच्छे समय आपस के लिए अपने विचारों, अनुभवों और नवाचारों को साझा करके  उपयोगी विचार-विमर्श करेंगे। उन्होंने कई क्षेत्रों में हाल के तकनीकी व्यवधानों को स्वीकार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, प्रशासन और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार होने पर प्रौद्योगिकी की वास्तविक क्षमता को उजागर किया जा सकता है। प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से शासन प्रणाली में बदलाव लाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सरकार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण से लोगों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, साझा करने और एक-दूसरे का ध्यान रखने ('शेयर एंड केयर') के सदियों पुराने भारतीय दर्शन को दोहराते हुए, उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाले मानवता और दुनिया के बड़े अच्छे समय आपस के लिए अपने विचारों, अनुभवों और नवाचारों को साझा करके  उपयोगी विचार-विमर्श करेंगे। उन्होंने पीएम के तीन शब्दों वाले मंत्र- रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर का उल्लेख करते हुए सुझाव दिया कि आने वाले दिनों में हमें ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था डिजिटलीकरण और नवाचार पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। कृषि पर अधिक ध्यान देने के लिए वहां टेक समिट के प्रतिभागियों से आग्रह करते हुए, उन्होंने कृषि उत्पादकता और आय में सुधार करने में सहायता देने के लिए सटीक कृषि, ऑनलाइन बाजारों (मार्केटप्लेस) और कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे बेहतर कृषि- तकनीकी समाधानों को अपनाने का आह्वान किया। कृषि पर जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे प्रतिकूल प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस चुनौतीके लिए तकनीकी समाधान ढूँढने का आह्वान किया। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि कोविड-19 से हुई क्षति की रिकवरी व समाज की बेहतरी के लिए ज्ञान, धन और आर्थिक संपदा अर्जित करने हेतु नए विचारों और नवाचारों के साथ आगे आने की ज़रूरत है तथा परिस्थितियों के अनुसार सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन समय की मांग है हमें अपने विचारों, अनुभव और नवाचारों को साझा करना होगा जो भारत की सदियों पुरानी परंपरा है।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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