Geet gaaye ja mainudeen kohri
गीत
गीत गाए जा
गुनगुनाए जा
हो सके तो - हो सक तो
मजलूम का दिल बहलाए जा .....।
राहों में कांटे भी आएंगे
उन से ना घबराना
हो सके तो - हो सके तो
काँटों को भी सहलाए जा ......।
पर सेवा उपकार है
जीवन का इसमे सार है
हो सके तो -- हो सके तो
नर सेवा में जीवन लगाए जा .....।
काम-क्रोध -लोभ को तज दे
ये जीवन फिर ना आएगा
हो सके तो -- हो सके तो
हंसी-ख़ुशी से जीवन जीए जा ......।
ऐ " नाचीज़ " तू भी सोच ले
दुनियाँ से इक दिन जाना है
हो सके तो -- तो सके तो
मन-वचन-कर्म से अच्छा किए जा ......।
मईनुदीन कोहरी "नाचीज़ बीकानेरी "
मो .9680868028